पद्मश्री मनु शर्मा पंचतत्व में विलीन, राम गाेपाल ने कहा-सिर्फ काशी ही नहीं पूरे देश के लिए अपूर्णीय क्षति

punjabkesari.in Thursday, Nov 09, 2017 - 02:23 PM (IST)

वाराणसी(केएन शुक्ला): पीएम नरेन्द्र मोदी के नवरत्न व पद्मश्री मनु शर्मा गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। पियरी स्थित आवास से अंतिम यात्रा निकाली गयी, जो मणिकर्णिका घाट जाकर समाप्त हुई। अंतिम यात्रा में सभी दलों के नेता के साथ शहर के जाने-माने लोग मौजूद थे। घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गयी। बड़े पुत्र शदर शर्मा ने अपने पिता मनु शर्मा को मुखाग्नि दी। इसके साथ ही काशी का चमकता हुआ सितारा हमेशा के लिए खामोश हो गया।

अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
साहित्यकार मनु शर्मा के अंतिम दर्शन के लिए भीड़ उमड़ी। परिवार में बड़े पुत्र शरद शर्मा के अतिरिक्त पुत्र हेमंत शर्मा पुत्री नित्या शर्मा व विद्या शर्मा है। सभी के आंसु रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। अंतिम संस्कार से पहले डीएम व एसएसपी की मौजूदगी में राजकीय सम्मान दिया गया। इसके बाद बड़े पुत्र ने मुखाग्नि दी। इस अवसर पर सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, चंदौली के पूर्व सांसद राम किशुन, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह पटेल, बीजेपी नेता व सााहित्य जगत की अन्य हस्ती मौजूद थी।

निवास पर हुआ निधन
पद्मश्री मनु शर्मा का निधन कल उनके निवास पर हुआ था। काल से ही उनके अंतिम दर्शन के लिए कई तमाम मंत्रियों और नेताआें के आने का सिलसिला जारी रहा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव कल से ही काशी पहुंचे हुए हैं और वे आज शवयात्रा में भी शामिल हुए। मनु शर्मा के देहांत से समूचे बनारस समेत पूरे साहित्य जगत में शोक का माहौल है।

कई नेताआें ने अर्पित किया पुष्प
राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने मणिकर्णिका घाट पर मनु शर्मा के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किया। इसके अलावा राज्य मंत्री अनिल राजमंत्री, कई विधायक और जिले के कप्तान डीएम सभी ने पुष्प अर्पित कर उन्हें अंतिम विदाई दिया। रामगोपाल यादव ने कहा कि मनु शर्मा के जाने से न सिर्फ काशी बल्कि पूरे देश के लिए अपूर्णीय क्षति है। उनके द्वारा लिखी गई कृतियां हमारे बीच हमेशा जिंदा रहेंगी।

जमीन से उठे थे मनु शर्मा-जितेंद्र मिस्र 
साहित्यकार जितेंद्र मिस्र ने कहा कि लगातार 75 वर्स से भारतीय समाज के हर कार्य मे अपनी सभागिता करने वाला मनु शर्मा जमीन से उठे थे। आलोचना के बड़े बड़े व्यक्तित्व वालों ने मनु शर्मा के साहित्य की बहुत मान्यता नहीं दी, लेकिन एक न एक दिन मनु शर्मा के साहित्य को स्वीकार्य करना पड़ेगा।


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