मेरठ में आज दहाड़ेंगी मायावती, 2019 में सियासी जमीन वापस पाने की कवायद

punjabkesari.in Monday, Sep 18, 2017 - 10:16 AM (IST)

मेरठः 2019 के चुनावों के लिए रणनीति तैयार कर रही बसपा सुप्रीमों आज मेरठ में महारैली का शंखनाद करेंगी। इस रैली का मुख्य एजेंडा कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर  केंद्र और प्रदेश सरकार को ताकत का अहसास कराना है। इसके साथ खिसकते जनाधार की बात करने वाले लोगों को मुंहतोड़ जवाब भी देना है। सुबह 11 बजे से इस रैली की शुरुआत होगी। 

बता दें राज्यसभा से इस्तीफे के बाद मायावती 2019 की 70 विधानसभा सीटों पर फोकस करते हुए बीजेपी पर दावा बोलने जा रही है। इस महारैली में माया दलितों, मुस्लिमों और पिछड़ों को साथ जोड़ने की कोशिश करेंगी। साथ ही माया तीनों मंडलों की समीक्षा बैठक भी लेंगी।

इन 70 विधानसभा सीटों पर फोकस
मेरठ रैली में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की 70 विधानसभा सीटों पर फोकस करते हुए रैली होगी। बीएसपी का मकसद है कि इस रैली में जहां दलित उत्पीड़न के विरोध में इस समाज की भागीदारी बढ़े। वहीं दलित-मुस्लिम एकता का संदेश देने के लिए अल्पसंख्यकों की भी बड़ी मौजूदगी जरूर हो। इसी के साथ पिछड़ों के साथ होने का संदेश पूरे सूबे में जाए।

हर किसी के बैठने की जगह निर्धारित
रैली स्थल पर मेरठ, सहानरपुर और मुरादाबाद मंडल के वर्करों के बैठने के लिए 3 अलग-अलग ब्लॉक बनाए गए हैं, ताकि यह पता रहे कि किस मंडल से कितनी भीड़ आई। महिलाओं के बैठने के लिए मंच के बिल्कुल सामने जगह बनाई गई है। महिला बीबीएफ की वर्कर उनकी जिम्मेदारी संभालेंगी।

मोदी-योगी होंगे निशाने पर
इस महारैली में माना जा रहा है कि बीएसपी सुप्रीमो के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी होंगे। बीएसपी नेता हाजी याकूब कैरशी ने कहा कि बहनजी इस महारैली में दलित उत्पीड़न के मुद्दे को उठाएंगी। कुरैशी ने कहा यूपी में योगी सरकार के आने के बाद राज्य में दलितों के साथ लगातार उत्पीड़न हो रहा है।

रैली को सफल बनाने का मूलमंत्र
मेरठ की महारैली में हर विधानसभा से करीब 10 हजार से 15 लोगों के आने का अनुमान है। मेरठ के सरधना से प्रत्याशी रहे हाफिज इमरान याकूब ने कहा कि मेरठ की रैली एक ऐतिहासिक रैली होगी और करीब 5 लाख लोगों की भीड़ जुटेगी।

मजबूत संदेश देने की कोशिश
मायावती इस बात को बाखूबी जानती हैं कि पहली रैली उनके दोस्त और दुश्मन दोनों की नजर है। ऐसे में उनकी पहली रैली बाकी की रैली के माहौल को बनाने की भूमिका अदा करेंगी। इसीलिए वह किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसीलिए उन्होंने अपने गढ़ से हुंकार भरने का फैसला किया है, ताकि बाकी होने वाली रैलियां भी सफल हो सकें।

इस्तीफे के बाद माया की पहली रैली
गौरतलब है कि पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई दलित और राजपूत के बीच हिंसा हुई थी। मायावती इस मुद्दे पर राज्यसभा में बोलना चाहती थीं, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया था। मायावती को ये बात इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने राज्यसभा के सदस्य पद से ही इस्तीफा दे दिया था।

जिसके बाद उन्होंने रैलियों के जरिए दलित उत्पीड़न की बात उठाना चाहती हैं।मायावती ने यूपी के सभी मंडलों में हर महीने की 18 तारीख को रैली करने का ऐलान किया था। इसी कड़ी में सोमवार को पहली रैली मेरठ में हो रही है।


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