राम मंदिर निर्माण को लेकर सुलह समझौते का अब औचित्य नहीं: विहिप

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2017 - 07:44 PM (IST)

अयोध्या: शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और कुछ अन्य धर्मगुरुओं के अयोध्या विवाद का सुलह-समझौते से हल किये जाने के प्रयास के बीच विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कहा है कि अब इसका कोई औचित्य नहीं रह गया है।

विश्व हिन्दू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने विहिप मुख्यालय कारसेवकपुरम में कहा कि श्रीरामजन्मभूमि को लेकर सुलह समझौते की रट का पुरातत्व साक्ष्य मिलने के उपरान्त अब कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो मंदिर के पक्ष में है। फिर बातचीत कैसी और क्यों जो लोग सुलह समझौते की बात कर रहे हैं उनके प्रत्येक पहलुओं पर वहिप नजर रखे हुए है। 

उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर था-मंदिर है और मंदिर रहेगा। बस अब भव्यता देना बाकी है। आगामी 16 नवबर को अयोध्या आ रहे आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर पर विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि संत एवं धर्माचार्य केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठकों के माध्यम से कहते आये हैं कि अयोध्या के शास्त्रीय सीमा के तहत मस्जिद का निर्माण सभव नहीं है। 

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये सुझाव के उपरान्त सुलझ-समझौता वादियों की सक्रियता कुछ अधिक बढ़ गयी है लेकिन कुछ ऐसे तत्व हैं जिनका इस आंदोलन में कोई योगदान नहीं है फिर भी एक पक्ष के साथ समझौता अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सतहत्तर एकड़ भूमि पर मंदिर बनेगा और इसके इतर कुछ भी हिन्दू समाज को स्वीकार नहीं है।

शर्मा ने कहा कि अदालत में संपत्ति का मामला विचाराधीन है। शास्त्र और वर्तमान स्थिति रामलला के पक्ष में हैं फिर भी न्यायिक विलब क्यों। पिछले 67 वर्षों में न जाने कितने गवाह और न जाने कितने पक्ष विपक्ष के लोग मंदिर-मस्जिद से गुजरे हैं। फैसला तो दूर जहाँ से परिक्रमा शुरू हुई वहीं आकर रुक गयी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह देश सम्मान करता है लेकिन न्यायिक विलंब हिन्दुओं को निराश करने वाला है। सुलह-समझौता का अब कोई औचित्य नहीं है। तमाम प्रयास पहले भी हुए लेकिन कोई समझौता नहीं हो पाया।  

विहिप प्रवक्ता ने कहा कि देश में आजादी के उपरान्त और विभाजन के दो वर्ष बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल और अन्य नेताओं के कुशल प्रयास से गुजरात के सोमनाथ ज्योर्तिङ्क्षलग पर भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया। वहीं अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर विवाद न्यायालय की प्रतीक्षा करता रहा। उन्होंने कहा कि अगर सोमनाथ की तर्ज पर अयोध्या का समाधान कर दिया जाता तो यह सब देखने को नहीं मिलता। 

उन्होंने कहा कि श्रीराम देश के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था एवं श्रद्धा के केन्द्र हैं। वह जन्मभूमि पर विराजमान भी हैं, जिनकी पूजा अर्चना लंबे समय से चली आ रही है। उन्हें दुनिया की कोई शक्ति इधर से उधर नहीं कर सकती। बस उनके मंदिर को भव्य रूप देना ही उनके भक्तों का लक्ष्य है।


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