कितना सुरक्षित है भारत और यहां की प्रसिद्ध धराेहर?

punjabkesari.in Tuesday, Aug 02, 2016 - 06:28 PM (IST)

लखनऊः ढाका और सऊदी अरब में शिया मस्जिदों पर हाल ही में हुए आत्मघाती हमलों ने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए देश भर में कानून लागू करने वाली एजेंसियों काे मजबूर किया है। लेकिन लगता है कि प्रो-मुस्लिम उत्तर प्रदेश सरकार इस संबंध में गंभीर नहीं है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां की प्रसिद्ध अस़फी मस्जिद ही सुरक्षित नहीं है।

भारत की लोकप्रिय शिया मस्जिद
जानकारी के मुताबिक, सुरक्षा विशेषज्ञाें ने 10 जुलाई को अस़फी मस्जिद में सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करने के लिए लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा का दौरा किया, जाेकि भारत के सबसे लोकप्रिय शिया मस्जिदों में से एक  है। इस छाेटी सी मार्क ड्रिल में सुरक्षा व्यवस्था में जाे कमियां सामने अाई, वह बेहद परेशान करने वाली थी। 

आसफउद्दौला ने करवाया था निर्माण
बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की एक एतिहासिक धरोहर है। इसे आसफउद्दौला ने 1784 में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत बनवाया था। इस मस्जिद में हर राेज करीब 5000 लाेग अाते है। जबकि हर शुक्रवार काे यहां करीब 15,000 लाेग इक्ट्ठा हाेते हैं। वहीं, किसी खास दिन जैसे कि ईद या माेहरम के समय ये संख्या 50,000 के करीब पहुंच जाती है। 

बाताें में व्यस्त थे गार्ड
सुरक्षा विशेषज्ञ, पुलिस के पूर्व महानिदेशक श्रीराम अरुण ने पाया कि मस्जिद के मुख्य प्रवेश द्धार पर लाेगाें की चैकिंग के लिए कोई भी नहीं था। जाेकि आश्चर्य की बात है। अंदर जाने पर उन्हाेंने बताया कि वहां जाे गार्ड माैजूद था, वह लोगों की तलाशी लेने की बजाय दूसरे के साथ बातचीत करने में व्यस्त था।  

एक और 'गंभीर खामी'
ऐतिहासिक स्थल में आगे अरुण काे एक और 'गंभीर खामी' में नजर अाई। यहां एक छोटा सा 2x2 का क्लाक रूम था, जाे वहां के अधिकारियाें के बैग से भरा पड़ा था। इन बैगाें की शायद ही काेई देखभाल करता हाेगा कि इनमें काेई विस्फाेट ना डाल दे। अरूण ने इन खामियाें के चलते सुझाव दिया कि एक निजी एजेंसी काे स्मारक पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए रखा जा सकता है। अब देखना हाेगा कि इस मार्क ड्रिल के बाद यूपी सरकार इस स्मारक की सुरक्षा काे लेकर ठाेस कदम उठाती है या नहीं।


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