इलाहाबाद HC का फैंसलाः नौकरी के लिए तय तारीख तक ही दिए जा सकते हैं जाति प्रमाणपत्र

punjabkesari.in Sunday, May 07, 2017 - 12:17 PM (IST)

इलाहाबादः इलाहाबाद हाईकोर्ट के 3 जजों की बेंच ने आज फैसला दिया है कि विज्ञापन में यदि कोई तिथि जाति प्रमाणपत्र देने के लिए तय है तो उस तिथि के बाद किसी अभ्यर्थी द्वारा प्रस्तुत जाति प्रमाणपत्र नियोक्ता द्वारा लेने को विवश नहीं किया जा सकता।

फैसले में हाईकोर्ट के उस खंडपीठ के निर्णय को सही माना जिसने अरविन्द कुमार यादव के केस में कहा था कि विज्ञापन में निर्धारित शर्तो को मानने को सभी पक्ष बाध्य हैं। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार की नौकरियों के लिए जारी ओबीसी सर्टिफिकेट्स में भले ही कोई फर्क न हो, लेकिन अगर कोई अभ्यर्थी राज्य सरकार की नौकरी में फॉर्म भरता है तो उसे राज्य द्वारा निर्धारित ओबीसी सर्टिफिकेट के मानदंडों को पूरा करना होगा तभी उसे सर्टिफिकेट का लाभ मिलेगा।

बता दें, कि 3 जजों कि पूर्णपीठ में चीफ जस्टिस डीबी भोसले, जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा ने यह फैसला गौरव शर्मा व कई अन्य याचिकाओं को तय करते हुए दिया। वहीं सरकार की ओर से अधिवक्ता रमेश उपाध्याय व रामानंद पांडेय ने कोर्ट के समक्ष तर्क रखते हुए कहा था कि तय सीमा के अंदर जाति प्रमाणपत्र देने के पीछे मंशा यह होती है कि अभ्यर्थियों का फॉर्म स्क्रीनिंग होकर चयन की प्रक्रिया आगे बढे।

यदि तय सीमा के बाद भी जाति प्रमाणपत्रों को स्वीकार किया जाना जारी रहेगा तो कोई भी भर्ती कभी पूरी नहीं हो सकती है। उनका कहना था कि कहीं न कहीं तो एक तिथि सर्टिफिकेट्स को जमा करने की तय करनी होगी।


वहीं याचिकाकर्ताओं की तरफ से कई वकीलों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने राम कुमार गिजरोया के केस में कहा है कि जाति जन्म से ही तय हो जाती है इस नाते यदि सर्टिफिकेट तय तिथि तक जमा नहीं हो सका तो परीक्षा परिणाम आने से पहले स्वीकार किया जा सकता है।


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