नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा मां के दर्शन को मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

punjabkesari.in Saturday, Sep 23, 2017 - 11:51 AM (IST)

वाराणसीः शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति भगवती चंद्रघंटा की उपासना व आराधना की मान्यता है। मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक एवं कल्याणकारी है। इनके मस्तष्क में घंटे के आकार का अर्धचन्द्र है, इसी कारण मां को चन्द्रघंटा भी कहा जाता है। स्वर्ण की कांतिवाली मां की 10 भुजाएं हैं।

खड्ग, बाण, गदा, त्रिशूल आदि अस्त्र- शस्त्र से सुसज्जित मां सिंह पर सवार युद्ध में जाने को उद्यत दिखती हैं। तीसरे दिन की पूजा-साधना में साधक का मन-मणिपुर चक्र में प्रवष्टि होता है और तब मां की कृपा से उसे अलौकिक दर्शन होते हैं। साधक के समस्त पापादी एवं बाधाएं भवानी की कृपा से स्वत: ही दूर हो जाती हैं। प्रेत बाधा आदि से भी मां मुक्ति देती हैं। चंद्रघंटा देवी का मंदिर चौक स्थित चंद्रघंटा गली में है।
 

जिनके घण्टे की घोर ध्वनि के द्वारा दसों दिशाएं कंपायमान हो उठी थीं। असुर के हृदय विदीर्ण हो रहे थे। माता अपनी घण्ट ध्वनि के द्वारा असुरों का हृदय क्षीण कर रही थीं। देवी के इस स्वरूप के स्तवन मात्र से ही `भयादमुच्यते नर:` अर्थात मनुष्य भय से मुक्ति प्राप्त कर शक्ति प्राप्त करता है। इस स्वरूप का पूजन सभी संकट से मुक्त करता है। मान्यता है कि जब असुरों के बढ़ते प्रभाव से देवता त्रस्त हो गए तब देवी चंद्रघण्टा रूप में अवतरित हुई। असुरों का संहार कर देवी ने देवताओं को संकट से मुक्त करा दिया।

इन्हें चित्रघण्टा देवी भी कहते हैं। सम्प्रति चंद्रघण्टा देवी का मंदिर ठठेरी बाजार के पास चित्रघंटा गली में स्थित है। साधक भगवती के इस रूप का भी ध्यान करते हैं। पूजन व ध्यान का समय सूर्योदय से पूर्व है। कुमारी पूजन के अंतर्गत चार वर्ष की सुंदर, निरोगी कन्या का पूजन होगा।


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