पिता की गई नौकरी तो मासूम ने पीएम को लिखे 28 पत्र, PMO से मिले ये जवाब

punjabkesari.in Sunday, Oct 15, 2017 - 04:21 PM (IST)

कानपुरः उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में 11 साल के बच्चे ने पीएमओ को 28 पत्र भेजे हैं। पत्र भेजने की वजह यह है कि कक्षा 6 में पढ़ने वाले इस बच्चे के पिता को कथित तौर पर नौकरी से निकाल दिया गया है। जिस कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब चल रही है। लेकिन जब उसके किसी भी पत्र का कोई जवाव नहीं आया तो उसने आरटीआई के तहत अर्जी लगा दी। जिसका उसे जवाब मिला है कि आपके सभी पत्र मिले हैं, जल्द ही जवाब भेजा जाएगा।

स्टॉक एक्सचेंज में कर रहे थे जॉब 
यशोदा नगर में रहने वाले सत्य विजय त्रिपाठी कानपुर में यूपी स्टॉक एक्सचेंज में डीमेट सेक्शन में जॉब करते थे। उनके परिवार में पत्नी शिखा, बेटा सार्थक और बेटी अनिका है। सत्य विजय के मुताबिक, वे स्टॉक एक्सचेंज में 2002 से जॉब कर रहे थे। उनका आरोप है कि 2014 में स्टॉक एक्सचेंज ने 52 लोगों से जबर्दस्ती वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम के पत्र पर दस्तखत करवा लिए। अगले ही दिन आधी सैलरी पर उसी पोस्ट पर अप्वॉइंट कर दिया।

पीएम को लिखा पत्र
उन्होंने बताया कि इस नाइंसाफी के चलते  कुछ लोग शांत हो कर बैठ गए, लेकिन सत्य विजय ने लड़ाई जारी रखी। उन्होंने पीएम, सेबी के डायरेक्टर और इनकम टैक्स ऑफिसर्स तक को पत्र लिखे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं पापा को परेशान देखकर बेटे सार्थक ने अपने टीचर की मदद से पीएम को पत्र लिखा। सार्थक का कहना है कि इसके बारे में उसकी परिवार में किसी को नहीं पता था।

पीएम से मिलने का मांगा समय
सार्थक ने 3 अक्टूबर 2016 को मोदी को पत्र लिखा था। जिसमें उसने पीएम से मिलने के लिए कुछ वक्त मांगा था, ताकि वह अपने परिवार और पापा की परेशानी उन्हें बता सके। बच्चे ने लेटर में लिखा था कि रिस्पेक्टेड बाबा जी, प्लीज सम टाइम टू मीट विथ आवर परिवार मेंबर लेकिन इस पत्र का जवाब नहीं आया।

बच्चे ने मोदी बाबा कह कर किया संबोधन
सार्थक ने बताया कि हमने सुना है कि मोदी बाबा सबकी बात सुनते हैं। इसलिए हमने अपनी बात बताने के लिए उन्हें 28 पत्र लिख दिए। जवाब न आने पर मैंने 5 सितम्बर 2017 को आरटीआई के माध्यम से पीएमओ से पूछा कि मेरे पत्र का क्या हुआ। जिसका जवाब 10 अक्टूबर 2017 को मिला कि आपका पत्र मिल गया है इसका जल्दी जवाब दिया जाएगा।

धमकी देकर निकाला गया था नौकरी से
सत्य विजय ने आरोप लगाते हुए कहा कि 2013 में सेबी ने सभी रीजनल स्टॉक एक्सचेंज को बर्डन बताते हुए बंद करने को कहा था। सभी ने पत्र लिखकर सेबी से इसे बंद न करने गुहार लगाई। इसके बाद कानपुर के यूपी स्टॉक एक्सचेंज में जब एडमिनिस्ट्रेटर केडी गुप्ता आए तो उन पर दबाव बनाया गया कि सभी 52 कर्मचारियों से वीआरएस लिया जाए। हम लोग इसके लिए राजी नहीं थे, लेकिन कुछ ब्रोकर्स के जरिए हमें धमकी दी गई और जबरन वीआरएस ले लिया गया।


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