बदहाली के आंसू रो रहा फर्रूखाबाद का बस अड्डा, देखिए इन तस्वीरों में
punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2017 - 01:53 PM (IST)
फर्रूखाबाद(दिलीप कटियार): बस अड्डा एक बेहद ही महत्वपूर्ण जगह होती है। शहर के लोग यहां से बसें पकड़ते हैं दूसरे शहर के लोग यहां आकर रुकते हैं। दूसरे शहर के लोग बस अड्डे को देखकर अंदाज लगा लेते हैं कि ये ऐसा है तो शहर कैसा होगा। सरल शब्दों में कहें तो बस अड्डा शहर का आइना होता है। एक आदर्श बस अड्डे में यात्रियों के लिए सभी बेसिक और जरूरी सुविधाएं होनी चाहिए, लेकिन फर्रूखाबाद के बस अड्डे में ये सारी सुविधाएं तो छोड़ ही दीजिए। बारिश के बाद यहां खड़ा होना भी मुश्किल है।
बस अड्डे पर जाना नर्क के बराबर..
यहां लगातार बारिश होने के बाद बस अड्डे की हालत बेहद खराब हो गई है। पूरा बस अड्डा कीचड़ से अटा पड़ा है। बस अड्डे पर जाना नर्क में जाने के बराबर हो गया है। पूरे बस अड्डे में आप जहां भी नजर दौड़ाएंगे आपको सिर्फ और सिर्फ कीचड़ ही नजर आएगा। ऐसे में बस में सफर करने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बसें किसी भी शहर की लाइफ लाइन होती हैं, वो किसी एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ती हैं।
कुरूपता की निशानी
फर्रुखाबाद का बस अड्डा इस वक्त कुरूपता की निशानी बन गया है। जिसे देखकर किसी का भी जी किरकने लगे। आधुनिक सुविधाएं तो छोड़ दीजिए यहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं, यहां लोगों के लिए बैठना तो दूर कोई ऐसा कोना नहीं मिलेगा, जहां आप परिवार के साथ सही से खड़े हो सकें।
ना-पानी ना-शौचलाय
बस अड्डे पर भरा ये कीचड़ देखकर आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि बारिश के बाद लोगों को यहां कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ होगा। बस अड्डे पर ना पानी पीने की कोई व्यवस्था है और ना ही शौचलाय की। ऐसे में महिलाओं को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
काम कब शुरू होगा, है भगवान भरोसे
बस स्टॉप के सुंदरीकरण का उससे अच्छे से सुविधा युक्त बनाने का ठेका सालों पहले दिया जा चुका है, लेकिन बीते 8 से 10 महीने में यहां कोई काम नहीं हुआ है। अधिकारियों और ठेकेदार में आपसी विवाद की वजह से काम महीनों से रुका हुआ है और काम कब शुरू होगा ये भगवान भरोसे है।
अधिकारी मंत्रियों ने दी सिर्फ निर्देशों की पोटली
पूरी पड़ताल के बाद हम एक नतीजे पर तो पहुंच गए कि फिलहाल बस अड्डे की समस्याओं का अंत नहीं होने वाला। कई अधिकारी, मंत्री आए और आश्वासन और निर्देशों की पोटली थमा कर चले गए, लेकिन समस्याओं का अंत ठोस कार्रवाई से होगा, जो हाल फिलाहल होते नहीं दिखता।
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