जनविरोधी है मोदी सरकार की नई मेट्रो रेल नीति: मायावती

punjabkesari.in Thursday, Aug 17, 2017 - 03:58 PM (IST)

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने केन्द्र की नई मेट्रो नीति को जनविरोधी बताकर उसकी तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इससे उत्तर प्रदेश में, विशेष रूप से कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद जैसे शहरों में मेट्रो रेल की स्थापना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगी। इतना ही नहीं लखनऊ मेट्रो का पूर्ण विस्तार भी मुश्किल हो जाएगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने शाम ही अपनी ‘नई मेट्रो नीति’ की घोषणा की है। मायावती ने जारी एक बयान में कहा कि देश की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने के लिए 2002 में राजधानी दिल्ली से मेट्रो परियोजना शुरू की गई। उसमें केन्द्र सरकार आर्थिक सहयोग करती थी, लेकिन मोदी सरकार ने इस जनहित कार्य से मुंह मोड़ने का फैसला लेकर जनविरोधी काम किया है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इस नई मेट्रो नीति के तहत क्षेत्र से सरकारी भागीदारी खत्म कर इसमें पूंजीपतियों की हिस्सेदारी को अप्रत्यक्षत: अनिवार्य बना दिया है। मायावती ने कहा है कि इससे मेट्रो का विस्तार रूकने की पूर्ण आशंका है क्योंकि निजी क्षेत्र की कंपनियां कम मुनाफे वाले क्षेत्रों में निवेश नहीं करती हैं। इस प्रकार केन्द्र में भाजपा सरकार हर जनोपयोगी योजना एवं परियोजना से हाथ खींचने के कारण देश में चलने वाली जनहित एवं जनकल्याण की विभिन्न योजनाओं की तरह मेट्रो का विस्तार भी आगे संकट में पड़ गया है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि मोदी सरकार का यह जनविरोधी रवैया अति-निन्दनीय है। इससे राज्यों का विकास, खास तौर से शहरी परिवहन विकास बुरी तरह से प्रभावित होगा। केन्द्र सरकार धीरे-धीरे करके ‘कल्याणकारी सरकार’ होने की तमाम जिम्मेदारियों से भाग रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शाम हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शहरी विकास मंत्रालय द्वारा देश भर के लिए प्रस्तावित एक समान मेट्रो नीति को मंजूरी दी गई।

बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया था कि देश भर में सार्वजनिक परिवहन के त्वरित साधनों के तहत मेट्रो रेल के तेजी से होने वाले विस्तार को देखते हुए नई नीति में भविष्य की जरूरतों के मुताबिक मानक तय किए गए हैं। इनमें उन्हीं महानगरों की मेट्रो परियोजनाओं को शहरी विकास मंत्रालय से मंजूरी मिलेगी जिनकी आबादी 20 लाख से अधिक हो। जेटली ने कहा था कि नई परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए तीन मॉडल तय किए गए हैं। इसमें पहले मॉडल के तहत राज्य सरकार शत प्रतिशत व्यय स्वयं वहन कर सकती है। दूसरा मॉडल केन्द्र और राज्य सरकार की आधी आधी भागीदारी से जुड़ा है और तीसरा मॉडल सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी (पीपीपी) से जुड़ा है।


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