मेरठः शाहजहां के जमाने की 414 साल पुरानी मस्जिद में हुआ ऑनलाइन निकाह

punjabkesari.in Tuesday, May 09, 2017 - 10:38 AM (IST)

मेरठः यूपी के मेरठ जिले में नए ट्रेंड का निकाह होता देखने को मिला। जहां बिजनौर से शामली बिना दूल्हा के बरात पहुंची। सऊदी अरब में बैठे दूल्हा का विडियो कॉलिंग से निकाह पढ़ाया गया। जिस मस्जिद में निकाह हुआ वह शाहजहां के जमाने में बनी 414 साल पुरानी शाही जामा मस्जिद है। इस अनोखी शादी के लिए दाऊल उलूम से विशेष इजाजत ली गई थी। दो वकीलों और 21 हजार रुपए के मेहर में निकाह पूरा हुआ।

शादी के वक्त सऊदी अरब में था दुल्हा
दरअसल शामली शहर के मोहल्ला आजाद चौक निवासी रहम इलाही कुरैशी बस चालक हैं। उनकी बेटी नाहिद अंजुम का रिश्ता बिजनौर के किरतपुर निवासी आबिद से हुआ था। आबिद सऊदी अरब के रियाद में एक शाह के यहां पर काम करता है। सोमवार को बरात आनी थी, लेकिन कागजातों में कमी के चलते उसे छुट्टी नहीं मिली और लड़का निकाह में नहीं आ पाया। 

विडियो कॉलिंग के जरिए कबुल किया निकाह
बाद में धर्मगुरुओं से विडियो कॉलिंग से निकाह की राय पर सहमति जताई गई। इसलिए बिना दूल्हे के ही बारात लेकर शामली पहुंचे। दूल्हे के बड़े भाई ने बताया कि दूल्हा सऊदी अरब में रहते हुए ही विडियो कॉल के जरिए निकाह कबूल किया। मौके पर मैंने भी अपने भाई के लिए निकाह कबूल किया। 

414 साल पुरानी है जमा मस्जिद 
शामली शहर का यह ऐसा पहला निकाह शहर के बड़ा बाजार स्थित 414 साल पुरानी जमा मस्जिद में शाही इमाम मौलाना शौकीन कैरानवी ने विडियो कॉलिंग से दूल्हे को कबूल कराया है। इस दौरान निकाह में लड़की पक्ष और लड़के पक्ष की ओर से 2-2 गवाह व वकीलों ने भी हिस्सा लिया और उन्हीं की मौजूदगी में निकाह कबूल किया गया। निकाह के बाद मस्जिद परिसर में ही दोनों पक्ष के लोगों ने छुआरे बांटकर एक दूसरे को निकहा की मुबारकबाद दी और दोनों की उम्र भर सलामती की दुआएं।

बता दें कि इस्लाम सहूलियत का धर्म है। इस्लाम में लोगों की सहूलियत को देखते हुए फैसले सुनाए जाते हैं। मैं करीब 11 साल से शामली में हूं, लेकिन इससे पहले मैंने ऐसा निकाह नहीं देखा।
 


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