गरीबों के लिए वरदान साबित हो रहा ''रोटी बैंक''

punjabkesari.in Thursday, Jun 29, 2017 - 03:19 PM (IST)

कानपुरः जीएसटी लागू होने के बाद जहां पूरे देश भर में भोजन की थाली कितनी सस्ती या महंगी होगी, इन कयासों पर राजनैतिक दल और एक्सपर्ट्स पैनलिस्ट चर्चा में मशगूल है, वहीं इस सबसे बेफ्रिक कुछ बैंककर्मी ऐसे भी हैं जो बेघर व फुटपाथिया लोगों को घर-घर जाकर रोटी पहुंचाने का काम कर रहे हैं। दरअसल ये नेक काम इलाहाबाद की रोटी बैंक संस्था द्वारा किया जाता है, जिसकी एक सचल शाखा कानपुर में भी खोली गई है।

वैन के जरिए भूखे बेसहारों तक पहुंचते है ये बैंककर्मी
दरअसल कानपुर की सड़कों पर दौड़ता यह सचल रोटी बैंक गरीब, बेसहारा और भूखों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। चिलचिलाती धूप में सड़क किनारे किसी पेड़ की छांव तले जब कोई बेघर परिवार अपने बच्चों को भूख से तड़पता देखने पर मजबूर होता है, तभी वहां एक वैन आकर रुकती है।

वैन पर लिखा है - रोटी बैंक
इस सचल रोटी बैंक के स्वयंसेवी बैंककर्मी वैन से बाहर आते हैं और उनके हाथों में होते हैं - भोजन के पैकेट। वे इन्हें भूखे परिवारों को वितरित करते हैं और बदले में उनकी दुआऐं लेकर आगे बढ़ जाते हैं।

सुबह उठकर खाना बना निकल पड़ते है अपने लक्ष्य की ओर
बिना कोई मोल लिए, बिना किसी वेतन की चाह में ये रोटी बैंककर्मी रोज सवेरे 4 बजे उठते हैं और भोजन बनाने में जुट जाते हैं। इसके बाद 9 बजे के आसपास ये बैंककर्मी केवल दुआओं के बदले भूखे प्यासों का पेट भरने के लिए निकल पड़ते हैं। एक सचल रोटी बैंक में लगभग एक हजार लन्च पैकेट होते हैं। इनमें काम चलाउ नहीं बल्कि पौष्टिक हलवे और सब्जी के साथ रोटी या पूड़ी होती है।

इलाहाबाद की संस्था ने शुरू की ये नेक कोशिश
सचल रोटी बैंक की अवधारणा सबसे पहले इलाहाबाद के प्रेरणा परमार्थ आश्रम ने प्रारम्भ की थी। इसे दानदाताओं की मदद से चलाया गया और अब इसकी शाखाऐं कानपुर समेत यूपी के कई शहरों में खोल दी गई हैं। भूखों का पेट भरने वाले इन दानवीरों का दावा है कि सबको रोजगार मिलने तक वे अपने बैंक में कभी तालाबन्दी नहीं होने देगें।

भुखमरी के खिलाफ जंग का ऐलान 
बता दें कि सचल रोटी बैंक के बोनट पर महात्मा गांधी के चरखे के निशान वाला तिरंगा झण्डा लगा है। तिरंगे का ये वो पुराना स्वरूप है जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी थी, हर भारतीय को स्वराज्य और सुराज का सपना दिखाया था। रोटी बैंक अब इस झण्डे को अपना प्रतीक बना


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