एेसा देश है मेरा, जहां मुस्लिम महिलाएं भी सुनाती है गीता का पाठ

punjabkesari.in Tuesday, Sep 19, 2017 - 11:28 AM (IST)

मथुराः मुथरा के वृंदावन में हिन्दू-मुस्लिम के बीच की खाई को पाटने का प्रयास किया गया। रेड क्रॉस सोसाइटी की ओर से आयोजित कैंप में मुस्लिम बेटियों ने भगवद् गीता का पाठ कर समाज को भाईचारे का संदेश दिया। वहीं जब गीता का पाठ किया तो पंडाल में मौजूद सभी लोग भक्ति भाव में डूब गए।

हमारी दुनिया में हिन्दू-मुसलमान नहीं होता 
गीता पाठ करने वाली साजिदा ने कहा कि ये सुनकर ताज्जुब होता है कि लोग धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर झगड़ा करते हैं। साजिदा का कहना है कि उनकी दुनिया में कोई भी हिंदू या मुसलमान नहीं होता। सब एक-दूसरे की आवाज पर सतर्क हो जाते हैं। एक-दूसरे की मदद करने लगते हैं।

गीता धार्मिक ही नहीं, जीवनोपयोगी ग्रंथ है
राफिया ने कहा कि गीता के धार्मिक महत्व से ज्यादा श्लोकों में आबद्ध जीवन पद्धति के सूत्र महत्वपूर्ण हैं। इन श्लोकों के ज्ञान से कोई भी व्यक्ति अपनी जिंदगी को खूबसूरत बना सकता है। गीता सिर्फ धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि जीवनोपयोगी ग्रंथ भी है। इसलिए वे सभी ब्रेल लिपि के माध्यम से गीता पढ़ते हैं। कुछ को गीता कंठस्थ है और बाकी गीता को कंठस्थ करने की कोशिश कर रहे हैं।

बच्चों के बीच खत्म हो जाति-धर्म का भेदभाव 
नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं रेड क्रॉस की एग्जीक्यूटिव मेंबर सुषमा गुप्ता ने बताया कि इस एसोसिएशन और रेडक्रॉस के सभी सदस्य व छात्र-छात्राएं आपसी सामंजस्य से कार्यों को करती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के बीच जाति और धर्म का भेद न रहे। ये सभी बच्चे जाति और धर्म से ऊपर उठकर सच्चे भारतीय नागरिक बनें और राष्ट्र के विकास और उन्नति में अपना योगदान दें।


 


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