NH 74: CM त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान से कांग्रेसियों के साथ-साथ भाजपा खेमे में भी बढ़ी बेचैनी

punjabkesari.in Saturday, Feb 24, 2018 - 05:20 PM (IST)

देहरादून/ब्यूरो। एनएच 74 घोटाले में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से हुई पूछताछ और कांग्रेस की बढ़ती बेचैनी के बीच सियासी रंजिश के आरोपों को सीएम त्रिवेन्द्र  सिंर रावत ने सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि एसआईटी की जांच राजनीति से परे है।

 

जांच की जद में जो भी आएगा, उससे पूछताछ होगी। सीएम के इस बयान के बाद सियासी संरक्षण में अब तक खुद को सुरक्षित समझ रहे वे लोग भी बेचैन हो उठे हैं जिन्होंने हाल ही में अपनी सियासी निष्ठा बदली है। अब देखना यह है कि सीबीआई जांच की तरह सीएम दोबारा रौलबैक करते हैं या एसआईटी को अपना काम करने दिया जाता है। एक नेता से पूछताछ के बाद एसआईटी का खामोश हो जाना इस बात की ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं दबाव की राजनीति हो रही है।

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष से पूछताछ को पार्टी नेतृत्व सियासी रंजिश में की गई कार्रवाई मानता है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहते हैं कि नीरव मोदी कांड से जनता और मीडिया का ध्यान हटाने के लिए एक रणनीति के तहत कांग्रेस को निशाना बनाया गया है। हरीश रावत यह भी कहते हैं कि पूछताछ से पहले एसआईटी को नोटिस देना चाहिए था। कांग्रेस को पूछताछ की टाइमिंग पर भी आपत्ति है।

 

एसआईटी ने पूछताछ में प्रक्रिया का पालन किया या नहीं किया, यह तो समय बताएगा। परंतु इतना साफ है कि पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से पूछताछ ने उसे बेचैन कर दिया है। इसका कारण यह है कि आज नहीं तो कल हरीश रावत और प्रीतम सिंह जैसे दिग्गज कांग्रेसियों से भी पूछताछ की जाएगी।

यही कारण है कि कांग्रेस की ओर से भाजपा पर सियासी रंजिश के तहत  पूछताछ कराने का आरोप लगाया गया है। कांग्रेस को इस बात से भी परेशानी है कि कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में जिन नेताओं की ओर इशारा किया गया है, उनमें से कुछ नेता भाजपा में हैं। उन नेताओं से पूछताछ क्यों नहीं हो रही है।

 

कांग्रेस की ओर से उठाये गये सवालों पर शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने खुद जवाब दिया। देहरादून में पत्रकारों के होली मिलन कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि एनएच 74 घोटालो में सियासी रंजिश का सवाल ही पैदा नहीं होता। एसआईटी को पूरी आजादी दी गयी और उसे हर उस आदमी से पूछताछ करने का अधिकार है, जो संदिग्ध है।

 

सीएम ने इशारे ही इशारे में उन नेताओं से भी पूछताछ के संकेत दिए हैं जो इस मामले में संदिग्ध हैं और सत्ताधारी खेमे में हैं। यदि सीएम अपने बयान पर कायम रहते हैं, तो देर सबेर भाजपा के कुछ बड़े नेताओं से पूछताछ होनी तय है। देखना यह है कि एसआईटी को इसकी इजाजत मिलती है या नहीं।

 

जहां तक सीएम का सवाल है, वह खुद इस मामले की सीबीआई जांच चाहते थे। पर पार्टी नेतृत्व के दबाव में ही उन्हें सीबीआई जांच का फैसला वापस लेना पड़ा। कहीं ऐसा न हो कि पूछताछ को सियासत से परे रखने के लिए भी उन पर संगठन का दबाव पड़े।


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