मिसाल: मुस्लिम और हिन्दू बच्चों को सिखाती हैं कुरान और गीता

punjabkesari.in Tuesday, Sep 06, 2016 - 03:36 PM (IST)

आगरा (बृज भूषण): मोहब्बत की नगरी आगरा में ताजमहल के जैसी ही एक मिसाल मलिन बस्ती में रहने वाली बहनें पूजा और नंदनी हैं। जो मन्दिर में बुलाकर मुस्लिम और हिन्दू बच्चों को उर्दू और हिंदी सिखाती हैँ। एक बहन को उर्दू का ज्ञान है तो दूसरी को हिंदी का ज्ञान है। दोनों बहने मिलकर हिन्दू मुस्लिम बच्चों को कुरान और गीता के श्लोक सिखाती हैं।

आगरा के भगवान टाकीज के पास कृपाल कॉलोनी मलिन बस्ती में हिन्दू- मुस्लिम की मिश्रित आबादी है। यहां की रहने वाली नंदनी और पूजा को अलग-अलग हुनर सीखने का शौक था। नंदनी ने हिंदी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और पूजा ने अभी इंटर किया है। पूजा और नंदनी ने पढ़ाई के साथ साथ सिलाई कढ़ाई ब्यूटीशियन आदि हुनर भी सीखे हैं। पूजा, नंदनी की मां रानी कई काम कर लेती हैं और यही शिक्षा उन्होंने बच्चों को भी दी है। 

जानकारी के अनुसार पूजा के उर्दू पढ़ाने के दौरान ही कुछ और बच्चे भी पढ़ने आ जाते थे। मोहल्ले में सभी गरीब हैं, इस कारण मोहल्ले के लोग बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दे पाते थे। उर्दू और कुरान समझने के बाद जब पूजा ने मोहल्ले के मुस्लिमों की हालत देखी तो उसे लगा कि पढ़ाई को व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। उसने गरीब मुस्लिम बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया और उसने अपनी बहन नंदनी और मां रानी से बच्चों को पढ़ाने की इच्छा जताई। बेटी की इस इच्छा को जानकर मां रानी और बहन नंदनी तुरंत राजी हो गई। उसके बाद कभी घर तो कभी गली में बच्चों की पढ़ाई होना शुरू हो गई।

जब बच्चों की संख्या 35 से ज्यादा हो गई तो जगह की दिक्कत होने लगी। मोहल्ले के बजरंगबली मंदिर में काफी खाली जगह थी। मंदिर पर दबंगो की नजर रहती थी और दिनभर लोग जुआ और शराब पीते रहते थे। ऐसे में मोहल्ले के लोगों ने एकमत होकर मोहल्ले के बजरंगबली मंदिर में बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत कराई। पूजा का कहना है कि शिक्षा कोई भी गलत नही होती। जब हम उर्दू में कुरान और हिंदी में गीता पढ़ाते हैं तो मां बहुत खुश होती है। यहां पढ़ने आ रहे हिन्दू बच्चों को कलमे और मुस्लिमों को हनुमान चालीसा तक याद है। 

वहीं दूसरी तरफ छोटी बहन पूजा को देखकर बड़ी बहन नंदनी के मन में भी शिक्षा का ज्ञान बांटने की इच्छा हुई। नंदनी भी पढ़ने आने वाले बच्चों को हिंदी के साथ- साथ गीता के श्लोक और कबीर के दोहे पढ़ाती है। नंदनी का कहना है कि छात्र चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम उसे शिक्षा का ज्ञान मिलना जरुरी है और पढ़ाई में जाति धर्म नहीं होना चाहिए। शिक्षक ही समाज का सुधारक होता है।