शाह ने ली सांसदों की क्लास, कहा दलितों और पिछडों में बढ़ाओ पैठ

punjabkesari.in Tuesday, Jun 14, 2016 - 07:33 PM (IST)

इलाहाबाद:  भाजपा के राष्ट्रीय अध्य़क्ष अमित शाह ने सांसदों को दलितों और पिछडों में पैठ बढ़ाकर इन वर्गों को पार्टी से जोड़ने की सख्त हिदायत दी है। पार्टी को 2 दिनों तक चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और परिवर्तन रैली के बाद देर रात भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सांसदों को एक स्थानीय होटल में बुलाकर 1 घंटे तक उनसे बात की।

सूत्रों के अनुसार शाह ने सांसदों से पं. दीनदयाल उपाध्याय शताब्दी वर्ष के जरिए ''वंचितों को अपनाओ अभियान'' के तहत दलितों और पिछड़ों के बीच जाकर उन्हें पार्टी से जोड़ने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि शाह ने कहा कि दलितों में उन जातियों पर खासतौर पर फोकस करना है जो पहले पार्टी के पास थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वे हमसे अलग हो गए हैं। 

शाह ने सांसदों से कहा कि दलितों और अतिपिछडों की बस्तियों में जाइए। सांसद निधि से उनके क्षेत्रों में काम कराइए। उनके बेटे-बेटियों की शादियों में शामिल होइए, ताकि वे आपके नजदीक आएं और पार्टी से जुड़ जाएं। उन्होंने बताया कि बैठक में राज्य से पार्टी के 71 सांसदों में से 50 से अधिक मौजूद थे। पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा के अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए इस कार्य को युद्धस्तर पर लिया जाना चाहिए।

पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित आर्थिक प्रस्ताव में माना है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर चलते हुए देश दुनिया की आशाओं का केन्द्र बन गया है। शाह ने सांसदों से कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय ने जीवनभर समाज के वंचितों और पिछडे वर्ग को जोडने का काम किया।

वह मानते थे कि वंचितों और पिछडों की तरक्की के बगैर समाज की तरक्की नहीं हो सकती। शाह ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की नीतियों पर चलते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार ने दलितों और पिछडों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए कई काम किए। उनकी नीतियों की वजह से ही कुशल व्यय प्रबंधन के चलते मुद्रास्फीति नियंत्रण में है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के पथप्रदर्शक रहे उपाध्याय के सिद्धान्तों की वजह से केन्द्र सरकार में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व, भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन, कुशल वित्तीय प्रबंधन के चलते निवेशकों के विश्वास में कई गुना की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं का लाभ पिछडों और दलितों को ज्यादा से ज्यादा मिले इसकी भी निगरानी की जानी चाहिए।