‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर मायावती कर रही हैं वोट बैंक की राजनीति’

punjabkesari.in Wednesday, Oct 26, 2016 - 08:36 AM (IST)

इलाहाबाद: तीन तलाक पर प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना करने पर भाजपा ने मायावती पर हमला बोला। पार्टी ने बसपा सुप्रीमो पर ‘मुस्लिम महिलाओं की गरिमा और संवैधानिक अधिकारों की कीमत’ पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया। मुद्दे पर मायावती द्वारा मोदी सरकार पर हमला बोले जाने के बाद भाजपा की तरफ से यह बयान आया है। 

सपा में सहानुभूति के लिए किया गया तमाशा
चौतरफा हमले में पार्टी ने समाजवादी पार्टी सरकार पर उत्तर प्रदेश में हुए एनआरएचएम घोटाले में मायावती की संलिप्तता पर सीबीआई को सहयोग नहीं देने का आरोप लगाया और पार्टी में चल रहे पारिवारिक विवाद को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थन में सहानुभूति की लहर पैदा करने के उद्देश्य से किया गया तमाशा बताया।  भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा का मानना है कि तीन तलाक की प्रथा महिलाओं के लिए अत्यंत अनुचित है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि ये अब कई इस्लामिक देशों में भी प्रचलित नहीं है। 

मायावती के दिमाग में वोट बैंक की राजनीति
प्रधानमंत्री ने भी रैली में इसी बात को अर्थपूर्ण ढंग से रखा था। लेकिन मायावती के दिमाग में केवल वोटबैंक की राजनीति है। उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी में बिखराव के बाद मायावती को अनुमान है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मुस्लिमों का झुकाव उनकी तरफ होगा जोकि परंपरागत रूप से मुलायम सिंह यादव का साथ देते हैं। इसी आशा में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ निंदापूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने बताया कि एक पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मायावती को यह बात पता होनी चाहिए कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को संविधान के अनुसार काम करना होता है, जो सभी नागरिकों के समानता के अधिकार को सुनिश्चित करता है भले ही उनका कोई भी लिंग या मजहब हो।

पीएम मोदी के खिलाफ की निंदापूर्ण टिप्पणी
समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह के बीच मायावती उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आक्रामक रूप से मुस्लिमों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं जो पारंपरिक रूप से सपा के समर्थक रहे हैं। मायावती ने कहा था कि भाजपा और नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले अब ‘तीन तलाक’ और समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ पर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। बसपा इसकी कड़ी निन्दा करती है।

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