खतरे में पड़ा राहुल गांधी का उत्तर प्रदेश मिशन

punjabkesari.in Tuesday, Jan 12, 2016 - 07:34 PM (IST)

अमेठी:  यूपी के पंचायत चुनावों को कांग्रेस बिहार चुनावों का रिहर्सल मानकर वहां मिली बढ़त के आधार पर दावा कर रही थी लेकिन रायबरेली को छोड़कर कहीं भी कांग्रेस का खाता नहीं खुला। सबसे करारी हार राहुल के अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी में हुई है। सालभर बाद यूपी में सरकार बनाने के कांग्रेस के दावों की पोल खुल गई है। कांग्रेस में इस हार का पोस्टमार्टम पहले भी ही चालू हो गया था।

इस हार की ठीकरा राहुल गाधी और उनके खास लोगों के सिर पर फूटने से बचाने के लिए टीम राहुल व उनके करीबी लोगों ने यह बहाना बनाना आरम्भ कर दिया है कि पंचायत चुनाव चूंकि सिम्बल पर नहीं लड़े गए थे, इसलिए हार की जिम्मेदारी राहुल गांधी पर डालना नाइंसाफी होगी। हालांकि पार्टी में कई लोग इस तर्क से सहमत नहीं हैं। कई जिलों में एेसे कई उम्मीदवारों को चयन के लिए सीधे तौर पर राहुल के करीबी लोगों पर अंगुलियां उठाई हैं।

कांग्रेस के एक नेता ने कई जिलों की एक सूची बताई जहां पंचायत चुनाव अध्यक्षों की उम्मीदवारी उन जिलों के कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं से चर्चा करना तक जरुरी नहीं समझा गया। टीम राहुल के करीबी लोग कांग्रेस की हार के बचाव में विगत दो दशको का आंकड़ा देते हुए यह भी तर्क गढ़ रहे हैं कि यूपी में जिसकी सरकार रहती है, उसी पार्टी के लोग ही पंचायत चुनावों में जीतते रहे हैं। दूसरा कारण देश के सबसे बड़े प्रदेश में कांग्रेस संगठन के भीतर भारी गुटबाजी को माना जा रहा है।

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पंचायत चुनावों में बुरी पराजय के कारणों के बारे में राहुल गांधी स्वतंत्र विश्लेषण करना चाहते हैं। सभी जिलों जहां-जहां कांग्रेस के उम्मीदवार खड़े थे, वहां पर ज्यादातर जगहों पर पराजय के पीछे सत्ताधारी सपा,के अलावा बसपा व भाजपा के धनबल अलावा कांग्रेस की भितरघात को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।

हालांकि झटका सपा को भी लगता दिखाई दिया है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के लोकसभा के क्षेत्र आज़मगढ़ में एमआईएस समर्थित उम्मीदवार ने सपा को हराकर जिला पंचायत प्रमुख पद पर कब्जा जमा दिया। गौरतलब है कि पीएम मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी व राजनाथ सिंह के चुनाव क्षेत्र लखनऊ में भी भाजपा की करारी हार हुई है।