हौसले को सलामः घायल पिता और मां को ठेले पर बैठाकर वाराणसी से बिहार पहुंचा 11 वर्षीय तबारक

punjabkesari.in Monday, Jun 01, 2020 - 07:04 PM (IST)

पटनाः कोरोना संकट में हजारों प्रवासी अपने गांव लौट रहे हैं। इस दर्दनाक सफर में कईयों की सड़क दुर्घटना में जान चली गई है तो कई भूख से मर रहे हैं। आए दिन प्रवासी मजदूरों की दयनीय तस्वीर देखने को मिल रही है। इनके सफर की दर्दनाक तस्वीरों और वीडियो से सोशल मीडिया भर चुका है। ऐसी ही तस्वीर बिहार के अररिया जिले से सामने आई है। यहां एक 11 वर्षीय बालक अपने घायल पिता और एक आंख से दिव्यांग मां को ठेले पर बैठाकर वाराणसी से अररिया जिले के जोकीहाट ले आया।

लोगों ने दिया 'श्रवण कुमार' का नाम
माता-पिता को ठेले पर 550 किलोमीटर का सफर तय करने वाले बालक तबारक को जिसने भी देखा, उसकी हौसला-अफजाई की। रास्ते में कई लोगों ने उसकी वीडियो बनाई तो कईयों ने उसे श्रवण कुमार का नाम दे दिया। 11 वर्षीय बच्चे ने माता-पिता के साथ नौ दिन का सफर तय किया। तबारक कक्षा दो का छात्र है, लेकिन गरीबी रास्ते में बांधक बनकर खड़ी है।
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पिता बनारस में चलाते थे ठेला
तबारक ने बताया कि उनके पिता मोहम्मद इसराफिल बनारस में ठेला चलाने के साथ मजदूरी भी करते थे। मजदूरी के दौरान पैर पर पत्थर गिर गया जिसकी वजह से उनका पैर चोटिल हो गया। ऐसे में अपने बीमार पति को देखने के लिए तबारक की मां बेचैन थीं। वहीं लॉकडाउन से पहले ही तबारक अपनी मां को लेकर ट्रेन से बनारस चला गया। इसके लगभग एक सप्ताह बाद लॉकडाउन शुरू हो गया। एक दिन तबारक ने अपने बीमार पिता और दिव्यांग मां को ठेले पर बिठाया और घर की ओर चल पड़ा।

पेट्रोल पंप पर गुजारी रातें
11 वर्षीय बच्चे ने बताया कि ठेले पर माता-पिता को लेकर चलने के बाद उसे काफी परेशानी हुई। उन्होंने पेट्रोल पंप पर रातें गुजारी। किसी रात खाना बनता तो किसी रात कोई खाना दे जाता। वहीं नौ दिनों के सफर के बाद तबारक अपने माता-पिता को लेकर घर पहुंचा। इसके बाद उसे परिवार समेत क्वारंटाइन कर दिया गया।


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Ramanjot

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