बिहार में इंसेफेलाइटिस से मरने वालों बच्चों की संख्या बढ़कर हुई 73

punjabkesari.in Saturday, Jun 15, 2019 - 05:51 PM (IST)

मुजफ्फरपुरः बिहार में चमकी बुखार का कहर लगातार जारी है। मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में इंसेफेलाइटिस की चपेट में आने से अब तक 73 बच्चों की मौत हो गई है, जबकि 12 की हालत गंभीर बनी हुई है। इंसेफेलाइटिस की चपेट में आने से 110 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं।

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉक्टर शैलेष प्रसाद सिंह का कहना है कि इन दोनों अस्पताल में अलग-अलग जिले से आए बच्चों का इलाज चल रहा है। बच्चों के इलाज के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। सिंह ने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम और इसके प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लाउडस्पीकर के माध्यम से जहां प्रचार-प्रसार किया जा रहा है वहीं घर-घर जाकर एहतियात बरतने के लिए पैम्फलेट बांटे जा रहे हैं। साथ ही प्रत्येक घर तक ओआरएस के पैकेट का वितरण भी किया जा रहा है।

डॉक्टर शैलेष प्रसाद सिंह का कहना है कि इसके लिए अलग से कई टीमों का गठन किया गया है, जिनमें आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को शामिल किया गया है। इस बीच शुक्रवार को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एसकेएमसीएच जाकर बीमार बच्चों का हाल-चाल जाना। मंगल पांडेय ने कहा कि इस बीमारी को लेकर सरकार भी चिंतित है। बीमारी की रोकथाम के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।

क्या है इंसेफेलाइटिस 
यह एक दिमागी बुखार है जो कि वायरल संक्रमण की वजह से फैलता है। यह मुख्य रुप से गंदगी में पनपता होता है। जैसे ही यह हमारे शरीर के सपंर्क में आता है वैसे ही यह दिमाग की ओर चला जाता है। यह बीमारी ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं।

ये हैं बीमारी के लक्षण
डॉक्टरों का कहना है कि इससे बुखार, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है। वह प्रकाश से डरता है। कुछ रोगियों के गर्दन में जकड़न आ जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं।

ये हैं बचाव के तरीके
इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए समय से टीकाकरण करवाना चाहिए। आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। गंदे पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों से बचाव करें और घरों के आस पास पानी न जमा होने दें। बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खान-पान दें।

prachi