Loksabha Election 2019: एक नजर शिवहर लोकसभा सीट पर

punjabkesari.in Thursday, May 09, 2019 - 03:07 PM (IST)

शिवहर: बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में मतदान होने हैं जिनमें से पांच चरणों में 24 सीटों पर मतदान हो चुके हैं। 12 मई को छठे चरण के तहत आठ सीटों पर मतदान होने हैं जिनमें वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज शामिल हैं। इस खबर में हम आपको शिवहर लोकसभा सीट के बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं।
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बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक शिवहर लोकसभा सीट है। यह क्षेत्र पहले सीतामढ़ी जिले का हिस्सा था। साल 1994 में इसे स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। सिर्फ पांच प्रखंडों को मिलाकर शिवहर को जिला बनाने का श्रेय रघुनाथ झा को जाता है। शिवहर बिहार का सबसे छोटा और आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत ही पिछड़ा जिला है। शिवहर को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। यहां शिवालयों की लंबी श्रृंखला है। क्रांतिकारियों की भूमि होने का भी गौरव इस क्षेत्र को प्राप्त है। अब आपको शिवहर के राजनीतिक इतिहास के बारे में बताते हैं। शिवहर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा कर चुके हैं। सिन्हा को भारत में सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है। उनकी पत्नी राम दुलारी सिन्हा भी स्वतंत्रता सेनानी थीं। वे केंद्रीय मंत्री और गवर्नर भी रही थीं। राम दुलारी सिन्हा बिहार की पहली महिला पोस्ट ग्रेजुएट थीं।
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आजादी के बाद पहली बार इस सीट पर साल 1953 में चुनाव हुआ और कांग्रेस के टिकट पर स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे। उस वक्त इस सीट का नाम मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट था। साल 1957 के चुनाव में पुपरी सीट के नाम से यहां लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह चुनाव जीते तो 1962 के चुनाव में राम दुलारी सिन्हा सांसद चुनी गईं। साल 1967 में एसपी साहू और 1971 में हरि किशोर सिंह चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे। साल 1977 के चुनाव में न सिर्फ लोकसभा सीट का नाम बदल गया बल्कि कांग्रेस को भी जनता ने बदल दिया। इस बार जनता पार्टी के टिकट पर ठाकुर गिरजानंदन सिंह सांसद चुने गए लेकिन 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर राम दुलारी सिन्हा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं।
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साल 1989 के चुनाव में जनता दल ने यहां सियासी उलटफेर किया और जनता दल के टिकट पर 1989 और 1991 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे। साल 1996 में समता पार्टी के टिकट पर आनंद मोहन सिंह सांसद चुने गए तो 1998 में भी आनंद मोहन सिंह ही सांसद बने लेकिन इस बार वे ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। साल 1999 में राजद के टिकट पर मोहम्मद अनवारुल हक़ सांसद चुने गए तो 2004 में राजद के टिकट पर ही सीताराम सिंह सांसद बने। वहीं 2009 और 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया और दोनों बार रमा देवी सांसद बनीं। 2019 में भी भारतीय जनता ने रमा देवी को मैदान में उतारा है तो महागठबंध की ओर से राजद ने सैय्यद फैसल अली को मैदान में उतारा है।
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जिला विधानसभा क्षेत्र
पूर्वी चंपारण मधुबन, चिरैया और ढाका
शिवहर शिवहर
सीतामढ़ी रीगा और बेलसंड


साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो शिवहर लोकसभा की 6 विधानसभा सीटों में से 2 पर बीजेपी 2 पर जेडीयू 1 पर कांग्रेस और 1 पर सीट पर राजद ने कब्जा जमाया था। इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में शिवहर में कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख 60 हजार 635 है। कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 83 हजार 482 महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 70 हजार 78 और ट्रांस जेंडर के कुल 75 मतदाता शामिल हैं।
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एक नजर साल 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
साल 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की रमा देवी ने 3 लाख 72 हजार 506 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था तो वहीं RJD के मोहम्मद अनवारुल हक 2 लाख 36 हजार 267 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि JDU के शाहिद अली खान को 79 हजार 108 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
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एक नजर साल 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
साल 2009 की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के रमा देवी ने 2 लाख 33 हजार 499 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी तो वहीं BSP के मोहम्मद अनवारुल हक 1 लाख 7 हजार 815 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि राजद के सीताराम सिंह को 89 हजार 548 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 
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एक नजर साल 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
साल 2004 की बात करें तो RJD के सीताराम सिंह ने 3 लाख 3 हजार 243 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी तो वहीं BJP के मोहम्मद अनवारुल हक 2 लाख 29 हजार 360 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि BPSP के आनंद मोहन सिंह को 86 हजार 418 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
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