Lok Sabha Election 2019: एक नजर आरा लोकसभा सीट पर
punjabkesari.in Thursday, May 16, 2019 - 03:20 PM (IST)

आराः लोकसभा चुनाव के सातवें व अंतिम चरण के तहत बिहार की आठ लोकसभा सीटों पर 19 मई को मतदान होने हैं। इससे पहले छह चरणों में राज्य की 32 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं। सातवें चरण में नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट, जहानाबाद लोकसभा सीट पर मतदान होने हैं। इस खबर में हम आपको आरा लोकसभा सीट के बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं।
आरा में भोजपुर जिले का मुख्यालय है। प्राचीन काल में आरा का नाम आराम नगर था। गंगा और सोन नदी के बीच होने की वजह से यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने बनवास काल का कुछ वक्त यहां भी बिताया था। इतना ही नहीं 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह की कार्यस्थली होने की वजह से भी यहां की पहचान है। यहां के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी और मढ़िया का राम मन्दिर प्रसिद्ध है।
आजादी के बाद साल 1952 में हुए चुनाव में यह पटना शाहाबाद सीट के रूप में जाना जाता था और उस वक्त कांग्रेस के टिकट पर बाली राम भगत सांसद चुने गए। वहीं 1957 में इस सीट का नाम शाहाबाद हो गया और एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर बाली राम भगत चुनाव जीते। 1962 से इस सीट का नाम बदलकर आरा कर दिया गया। इसके बाद 1962, 1967 और 1971 तक यह सीट कांग्रेस के खाते में ही रही और तीनों बार बाली राम भगत ही चुनाव जीते यानि 1952 से 1971 तक लगातार 5 बार बाली राम भगत सांसद चुने गए। आपातकाल के बाद लोगों में कांग्रेस के प्रति गुस्सा चरम पर था। ऐसे में 1977 में हुए चुनाव में इस सीट पर भारतीय लोक दल के टिकट पर चंद्रदेव प्रसाद वर्मा सांसद चुने गए तो 1980 में एक बार फिर से जनता पार्टी सेकुलर के टिकट पर सांसद बने। वहीं इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को सहानुभूति मिली और 1984 में इस सीट पर भी कांग्रेस ने एक बार फिर से वापसी की। इस बार भी बाली राम भगत सांसद चुने गए हालांकि 1989 में कांग्रेस इस सीट को बचा नहीं सकी और इंडियव पीपुल्स फ्रंट के टिकट पर रामेश्वर प्रसाद सांसद बनने में कामयाब हुए। 1991 में जनता दल के टिकट पर राम लखन सिंह यादव सांसद बने तो 1996 में जनता दल के टिकट पर ही चंद्रदेव प्रसाद वर्मा सांसद चुने गए। 1998 में यह सीट समता पार्टी के खाते में गई और एचपी सिंह सांसद बनने में कामयाब रहे।
1999 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर राम प्रसाद सिंह सांसद चुने गए। 2004 में भी यह सीट राष्ट्रीय जनता दल के पास ही रही और कांति सिंह सांसद बने। 2009 में जेडीयू के टिकट पर मीना सिंह सांसद बनीं तो 2014 में मोदी लहर में पहली बार यह सीट भारतीय जनता पार्टी के पास गई और आर के सिंह सांसद चुने गए। एक प्रकार से देखा जाए तो 1980 के बाद इस सीट पर कोई भी सांसद दो बार लगातार चुनाव नहीं जीत पाए। ऐसे में क्या इस बार आर के सिंह इस मिथक को तोड़ पाने में कामयाब होंते हैं। यह तो 23 मई को ही पता चलेगा क्योंकि 2019 में भी भाजपा ने एक बार फिर से आर के सिंह को ही मैदान में उतारा है तो वहीं महागठबंधन की ओर से यह सीट राजद के खाते में गई थी लेकिन राजद ने यह सीट CPI(ML) लिबरेशन के लिए छोड़ दिया और CPI(ML) लिबरेशन के राजू यादव को अपना समर्थन दिया है।
आरा लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 7 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें भोजपुर जिले की अगियांव, संदेश, शाहपुर, बड़हरा, तरारी, आरा और जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
जिला | विधानसभा क्षेत्र |
भोजपुर | अगियांव, संदेश, शाहपुर, बड़हरा, तरारी, आरा और जगदीशपुर |
इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में आरा में कुल मतदाताओं की संख्या 20 लाख 55 हजार 316 है। कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 25 हजार 328, महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 29 हजार 835 और ट्रांस जेंडर के कुल 153 मतदाता शामिल हैं।
एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
साल 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के राज कुमार सिंह ने 3 लाख 91 हजार 74 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था तो वहीं RJD के श्रीभगवान सिंह कुशवाहा 2 लाख 55 हजार 204 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि CPI(ML)L के राजू यादव को 98 हजार 805 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
2009 लोकसभा चुनाव के नतीजे
साल 2009 की बात करें तो JDU की मीना सिंह ने 2 लाख 12 हजार 726 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी तो वहीं LJP के रामाकिशोर सिंह 1 लाख 38 हजार 6 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि CPI(ML)L के अरुण सिंह को 1 लाख 15 हजार 966 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
साल 2004 की बात करें तो RJD के कांति सिंह ने 2 लाख 99 हजार 422 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी तो वहीं CPI(ML)L के राम नरेश राम 1 लाख 49 हजार 679 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि निर्दलीय ब्रह्मेश्वर नाथ सिंह को 1 लाख 48 हजार 973 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।