मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस पर आया कोर्ट का फैसला, जानिए इस मामले से जुड़े कुछ अहम घटनाक्रम
punjabkesari.in Monday, Jan 20, 2020 - 06:33 PM (IST)
नई दिल्ली/मुजफ्फरपुरः बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में दिल्ली की एक अदालत ने कई नाबालिग लड़कियों के शारीरिक उत्पीड़न एवं यौन शोषण के लिए ब्रजेश ठाकुर और 18 अन्य को सोमवार को दोषी ठहराया है। यह पहला मामला है जहां किसी आश्रय गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण होने का खुलासा हुआ था।
- फरवरी 2018: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) ने बिहार के समाज कल्याण विभाग को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए ऑडिट रिपोर्ट सौंपी।
- 26 मई: टिस की रिपोर्ट बिहार समाज कल्याण विभाग के निदेशक को भेजी गई।
- 29 मई: बिहार सरकार ने लड़कियों को आश्रय गृह से अन्य संरक्षण गृहों में भेजा।
- 31 मई: जांच के लिए एसआईटी का गठन, ब्रजेश ठाकुर समेत 11 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज।
- 14 जून: बिहार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह को सील किया, 46 नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया।
- एक अगस्त: बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को राज्य भर के आश्रय गृहों की निगरानी के संबंध में पत्र लिखा, यौन उत्पीड़न के मामलों के तत्काल निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का सुझाव दिया।
- दो अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लिया, केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा।
- पांच अगस्त: बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कर्तव्य में लापरवाही और टिस की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने में देरी को लेकर राज्य कल्याण विभाग के छह सहायक निदेशकों को निलंबित किया।
- सात अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं की तस्वीरों को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया पर किसी भी रूर में प्रकाशित-प्रसारित नहीं करने को कहा।
- आठ अगस्त: बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने मामले के मद्देनजर इस्तीफा दिया।
- 20 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं।
- चार अक्टूबर: सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उन्हें आश्रय गृह से लड़की का कंकाल मिला है।
- 28 नवंबर: उच्चतम न्यायालय ने बिहार आश्रय गृह उत्पीड़न के 16 मामलों को सीबीआई को सौंपा।
- सात फरवरी, 2019: उच्चतम न्यायालय ने मामले को बिहार से साकेत जिला अदालत परिसर की पोक्सो अदालत को स्थानांतरित करने का आदेश दिया।25 फरवरी: जिला अदालत में मुकदमा शुरू हुआ।
- दो मार्च: सीबीआई ने अदालत को बताया कि कई पीड़िताओं ने ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ गवाही दी।
- छह मार्च: बिहार बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने दावा किया कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं।
- 30 मार्च: निचली अदालत ने 21 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।
- तीन मई: सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय से कहा ब्रजेश ठाकुर, अन्य ने 11 लड़कियों की कथित तौर पर हत्या की।
- छह मई: उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को तीन जून तक कथित हत्याओं की जांच पूरी करने को कहा।
- तीन जून: उच्चतम न्यायालय ने जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को तीन महीने का समय दिया।
- 12 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने आठ लड़कियों को उनके परिवारों से मिलाने की अनुमति दी, बिहार सरकार से सहायता देने को कहा।
- 30 सितंबर: निचली अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।
- 14 नवंबर: यहां वकीलों की हड़ताल की वजह से फैसला टला।
- 12 दिसंबर: मुकदमा चलाने वाले न्यायाधीश के छुट्टी पर होने की वजह से फैसला एक बार फिर टला।
- आठ जनवरी, 2020: सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में किसी बच्ची की हत्या के सबूत नहीं मिले।
- 20 जनवरी: अदालत ने ठाकुर और 18 अन्य को दोषी ठहराया, सजा पर दलीलों को सुनने के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की।