बिहार में प्रवासियों के लिए मनरेगा बना वरदान, प्रतिदिन 2.70 लाख लोगों को दे रहा रोजगार

punjabkesari.in Sunday, May 17, 2020 - 04:07 PM (IST)

आराः कोरोना महामारी में काम-धंधा ठप होने के बाद बड़ी संख्या में वापस लौटे प्रवासियों के लिए बिहार में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना वरदान बन गई। वह प्रतिदिन औसतन दो लाख 70 हजार मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करा रही है।

जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के 45 दिनों में इस योजना के तहत करीब सवा सात लाख जॉब कार्डधारी परिवारों ने सवा करोड़ मानव दिवस का सृजन किया है। इस दौरान बिहार के 38 जिलों में कुल 1455 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। यानी राज्य के प्रति जिला औसतन 38.28 करोड़ तथा प्रति प्रखंड औसतन पौने तीन करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है जबकि 42 करोड़ बकाया है। चालू वित्त वर्ष के 45 दिनों में खर्च की गई राशि पिछले वित वर्ष 2019-20 में हुए कुल भुगतान 3740 करोड़ रुपए का 43 प्रतिशत है।

बता दें कि मनरेगा भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे सात सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-संबंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं।


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Ramanjot

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