मुंगेर की दिव्यांग विनीता ने पेश की मिसाल, कुछ इस तरह कर रही अपने परिवार का भरण पोषण

punjabkesari.in Friday, Jun 05, 2020 - 02:18 PM (IST)

 

मुंगेरः पहले समय में दिव्यांगजनों को एक बेबस और लाचार इंसान के रूप में देखा जाता था लेकिन बिहार की विनीता ने इस बात को नकारते हुए लोगों के सामने एक मिसाल कायम की है। दोनों टांगों के बिना न केवल वह स्वरोजगार ही करती है बल्कि अपना और अपने परिवार का भरण पोषण भी करती है।

विनीता ने लाचारी को कामयाबी में बदलने का लिया निर्णय
मुंगेर जिले के मौजमपुर गांव की रहने वाली 30 वर्षीय विनीता जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग है। उसका विवाह 20 जून 2010 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में रहने वाले बबलू मंडल से हुआ था। उसका पति भी दोनों पैरों से दिव्यांग है। उनके एक वर्षीय बेटी भी है। विनीता ने अपनी लाचारी को अपनी कामयाबी में बदलने का निर्णय लिया। इसके लिए वह जीविका से जुड़ी।

विनीता ने अपने घर के पास खोली दुकान
वहीं विनीता ने 17 नवंबर 2019 को अपने घर के पास ही एक किराने की दुकान शुरू की, जिसके लिए उसे जीविका के माध्यम से सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत रोजगार आरंभ करने के लिए 20 हजार रुपए स्वीकृत किया गया। इसकी पहली किस्त के रूप में उसे 14 हजार रुपए का किराना सामान उपलब्ध करवाया गया।

कोई भी दिव्यांगजन अपनी दिव्यांगता को न माने अभिशाप
बता दें कि विनीता इस दुकान से प्रतिदिन लगभग 1 हजार रुपए का सामान बेच लेती है। विनीता का पति भी उसकी सहायता करता है। विनीता ने कहा कि कोई भी दिव्यांगजन अपनी दिव्यांगता को अभिशाप न माने। उसे चुनौती समझकर एक अवसर के रूप में तब्दील करें। इससे वह सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त विनीता ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि वह दिव्यांगों के स्वरोजगार के लिए ऋण आदि उपलब्ध करवाए ताकि वह आर्थिक रूप से सक्षम बन सके।
 

Nitika