वरिष्ठ पत्रकार Ved Pratap Vaidik का निधन, बाथरूम में गिरने से हुए थे बेहोश
punjabkesari.in Tuesday, Mar 14, 2023 - 02:10 PM (IST)

लखनऊ / नयी दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जाने माने विशेषज्ञ वेद प्रताप वैदिक का मंगलवार सुबह निधन हो गया। वह 78 साल के थे। उनके करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वैदिक सुबह गुड़गांव स्थित अपने घर में अचानक बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मृत्यु हो गई। उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं। उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो गया था। वैदिक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) की हिंदी समाचार एजेंसी 'भाषा' के संस्थापक-संपादक रहे थे । वह पहले टाइम्स समूह के समाचार पत्र नवभारत टाइम्स में संपादक (विचार) रहने के साथ ही भारतीय भाषा सम्मेलन के अंतिम अध्यक्ष थे।
राजनैतिक विश्लेषक,हिन्दी प्रेमी रहे डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक
डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक जन्म 30 दिसम्बर 1944, इंदौर, मध्य प्रदेश भारतवर्ष के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी रहें। उन्होंने हिन्दी को भारत और विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में सदा प्रयत्नशील रहते हैं। भाषा के सवाल पर स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी और डॉ॰ राम मनोहर लोहिया की परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में उन्होंने बड़ा योगदान दिया।
डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक ने 1958 से ही प्रारम्भ कर दी पत्रकारिता
उन्होंने अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ रहे हैं। भारतीय विदेश नीति के चिन्तन और संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 80 देशों की यात्राएं की हैं।अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। उन्होंने सन् 1958 से ही पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी। नवभारत टाइम्स में पहले सह सम्पादक, बाद में विचार विभाग के सम्पादक भी रहे। उन्होंने हिन्दी समाचार एजेन्सी भाषा के संस्थापक सम्पादक के रूप में एक दशक तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम किया। सम्प्रति भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष तथा नेटजाल डाट काम के सम्पादकीय निदेशक भी रहे।
12 वर्ष तक नवभारत टाइम्स में पहले सह संपादक फिर बने थे संपादक
वेद प्रताप वैदिक का अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने 1958 में बतौर प्रूफ रीडर वे पत्रकारिता में आये, 12 वर्ष तक नवभारत टाइम्स में पहले सह संपादक फिर संपादक के पद पर रहे। निधन से पहले वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इण्डिया की हिन्दी समाचार समिति भाषा के संपादक रहें।
डॉ॰ वेद प्रताप ने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध की थी पीएचडी
उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उस समय काफी लम्बी लड़ाई लडनी पड़ी जब उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध पर अपना शोध प्रबन्ध हिन्दी में प्रस्तुत किया जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया और उनसे कहा कि आप अपना शोध प्रबन्ध अंग्रेजी में ही लिखकर दें। वैदिक जी भी जिद्द पर अड़ गये और उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया। बात बहुत आगे संसद तक जा पहुँची अनेक राजनेता उनके समर्थन में आगे आये और परिणाम यह हुआ कि आखिर में प्रशासन को झुकना ही पड़ा। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिये अनेकों आन्दोलन चलाये और अपने चिन्तन व लेखन से यह सिद्ध कर किया कि स्वभाषा में किया गया काम अंग्रेजी के मुकाबले कहीं बेहतर हो सकता है। फिलहाल वरिष्ठ पत्रकार डॉ वेदप्रताप वैदिक के निधन से सामाजिक कार्यताओं और नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
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