महिलाओं के लिए क्यों अहम माना जाता है 'वट सावित्री' का व्रत, जानिए इससे जुड़े कुछ तथ्य

punjabkesari.in Friday, May 22, 2020 - 02:56 PM (IST)

पटना/दुमकाः ज्येष्ठ अमावस्या का दिन हिंदू महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आज के दिन यह स्त्रियां वट वृक्ष की पूजा कर उनसे अपना अखंड सौभाग्य मांगती हैं। स्त्रियों का अखंड सौभाग्य प्राप्त करने वाला यह पर्व 'वट सावित्री' पर्व कहलाता है।

जानिए क्यों खास हैं महिलाओं के लिए यह व्रत
आज ही के दिन सावित्री ने यमराज द्वारा अपने पति के हारे हुए प्राण को फिर से वापस प्राप्त कर अखंड सौभाग्य का वर प्राप्त किया था। उस दिन से आज तक स्त्रियां वट वृक्ष के नीचे जमा होकर अपना अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत करती आ रही हैं।

वट सावित्री व्रत की पूजन विधि
वट सावित्री व्रत के दिन घर को गंगाजल से पवित्र करना चाहिए। इसके बाद बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्माजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। ब्रह्माजी के बाईं ओर सावित्री और दूसरी ओर सत्यवान की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। टोकरी को वट वृक्ष के नीचे ले रख देना चाहिए। इसके बाद सावित्री और सत्यवान का पूजन कर, वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करना चाहिए।

पूजन सामग्री का होता है खास महत्व
इस व्रत में पूजन सामग्री का खास महत्व होता है। मान्यता है कि सही पूजन सामग्री के बिना की गई पूजा अधूरी मानी जाती है। इसमें बांस का पंखा, लाल व पीला धागा, धूप बत्ती, फूल, कोई भी 5 फल, जल से भरा पात्र, सिंदूर, लाल कपड़ा आदि का होना जरूरी है।

कोरोना के कारण महिलाओं ने घरों में ही की पूजा
बता दें कि कोरोना वायरस का संक्रमण लंबा खींचता चला जा रहा है। ऐसे में अब लोग कोरोना के संग जीना सीखने का प्रयास करने लगे हैं। इसी क्रम में इस बार महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत अपने घरों में ही किया है। वट वृक्ष पर ब्रह्मा विष्णु और महेश का निवास है। ऐसे में घरों में वटवृक्ष की डालियों की पूजा करने पर भी वे सहज ही प्रसन्न होते हैं।


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Nitika

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