पौष पूर्णिमा होती है खास, जानिए इसका महत्व

punjabkesari.in Thursday, Jan 28, 2021 - 12:19 PM (IST)

पंचांग के अनुसार इस समय पौष का महीना चल रहा था और आज पौष पूर्णिमा तिथि है। कल से माघ के महीने की शुरुआत होने जा रही है। जानकारी के लिए बता दें कि पौष का महीना दसवां महीना होता है। इसके साथ ही हर एक महीने में किसी न किसी देवी- देवता की खास पूजा-अर्चना होती है। पौष मास में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है। क्योंकि इस महीने में ठंड अधिक बढ़ जाती है। हमारे जीवन में सूर्य का विशेष स्थान है। शास्त्रों में भी सूर्य को देवता का दर्जा दिया गया है। पौष मास में की गई सूर्य उपासना का फल दोगुना अधिक होता है।

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मान्यता अनुसार पौष मास में सूर्य देव की उपासना उनके भग नाम से करनी चाहिए। पौष मास में भग नाम सूर्य को ईश्वर का ही स्वरूप माना गया है। पौष मास में सूर्य को अर्ध्य देने व इनका उपवास रखने का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस मास प्रत्येक रविवार व्रत व उपवास रखने। और तिल चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से मनुष्य तेजस्वी बनता है। चलिए बताते हैं वैदिक शास्त्र में सूर्य का महत्व।

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वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है। पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी। लेकिन बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी प्रारंभ हो गई। जिसके बाद तमाम जगह पर उनके भव्य मंदिर बनवाए गए। प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के अनेक मंदिर आज भी भारत में हैं। सूर्य की साधना-अराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिरों में कोणार्क, मार्तंड और मोढ़ेरा आदि शामिल हैं।

पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें। पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करे। स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। स्नान से करने के बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए।


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