बिहार में चमकी बुखार के कहर से 130 बच्चों की मौत, झारखंड के अस्पतालों में हाई अलर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2019 - 02:45 PM (IST)

रांची: बिहार में एईएस (एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब झारखंड सरकार ने भी राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। अभी तक बिहार में इस बीमारी से 130 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 12 जिलों में इस बीमारी का कहर लगातार बढ़ रहा है। बिहार में इस बीमारी को दिमागी ज्वर या फिर चमकी बुखार कहा जा रहा है। झारखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर नितिन मदान कुलकर्णी ने रविवार को बताया कि झारखंड सरकार ने सभी 24 जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है, प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले लोगों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है।

वहीं राज्य में बचाव के सभी उपाय किए जा रहे हैं। सभी जिलों के सिविल सर्जन्स को बीमारी पर नजर रखने को कहा गया है। डाॅ. कुलकर्णी ने कहा कि लैब टेस्ट बीमारी के सटीक कारण का पता लगाने के लिए हैं। बिहार में कुछ डॉक्टरों का मानना है कि ये बीमारी लीची के कारण हो रही है। कुलकर्णी जो कि फूड कमिश्नर भी हैं, उन्होंने झारखंड के बाजार में मुजफ्फरपुर की लीची पर प्रतिबंध लगा दिया है। मगर साथ ही कहा कि लीची को बीमारी के कारण के तौर पर नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि अभी तक कोई वैज्ञानिक सबूत सामने नहीं आए हैं। वहीं रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) रांची, के डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है जिससे से पुष्टि हो सके कि एईएस लीची के कारण हो रही है।

रिम्स के प्रिवेंटिव सोशल मेडिसिन विभाग के हेड डॉक्टर विवेक कश्यप का कहना है, "बीते साल, लीची के मौसम में ऐसे मामले सामने आए थे, लेकिन जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी, कि लीची के कारण ही ये बीमारी हो रही है। अब लीची के मौसम में एक बार फिर ये बीमारी सामने आई है, ऐसे में इस ओर संदेह जाता है। फिलहाल, यह शोध का विषय है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद इस तथ्य की जांच कर सकता है।"

क्या है इंसेफेलाइटिस

यह एक दिमागी बुखार है जो कि वायरल संक्रमण की वजह से फैलता है। यह मुख्य रुप से गंदगी में पनपता होता है। जैसे ही यह हमारे शरीर के सपंर्क में आता है वैसे ही यह दिमाग की ओर चला जाता है। यह बीमारी ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं।

ये हैं बीमारी के लक्षण
डॉक्टरों का कहना है कि इससे बुखार, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है। वह प्रकाश से डरता है। कुछ रोगियों के गर्दन में जकड़न आ जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं।

ये हैं बचाव के तरीके
इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए समय से टीकाकरण करवाना चाहिए। आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। गंदे पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों से बचाव करें और घरों के आस पास पानी न जमा होने दें। बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खान-पान दें।

Jagdev Singh