जमशेदपुर: राज्य के एक मात्र हार्स राइडिंग क्लब को पुनर्जीवित करने का सार्थक प्रयास

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 03:00 PM (IST)

जमशेदपुर: घोड़ा पुराने समय से ही सवारी का माध्यम रहा है। लोग घोड़ों को बड़े ही शौक से पालते हैं। राजा महाराजा लोग घोड़े को तेजी का सूचक माना करते थे। किसी भी देश की सेना में कौन सी नस्ल के घोड़े हैं और उनकी गति क्या है इसकी जानकारी पहले ही एकत्रित की जाती थी। आधुनिक समाज में घोड़ा अपनी वह पहचान खो चुका है। अब तो घुड़सवारी मात्र एक खेल बनकर रह गया है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन लोगों ने शौक से घोड़े रखे हुए हैं। वहीं बिहार-झारखंड में एक मात्र हॉर्स राइडिंग क्लब जमशेदपुर में है पर वह भी हाशिए पर दिखता है। जहां हॉर्स राइडिंग के लिए कई नए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इससे हॉर्स राइडिंग क्लब को राष्ट्रीय स्तर पर लाया जा सके। युवा पीढ़ी में हॉर्स राइडिंग का जुनून अभी भी मौजूद है।

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जमशेदपुर में एक मात्र हार्स राइडिंग क्लब है जिसे बेहतर तरीके से संचालित करने और घुड़दौड़ प्रतियोगिताओं में शहर और राज्य का नाम रोशन करने को लेकर दक्ष हॉर्स राइडरों की पौध तराशने की कोशिश चल रही है। इस क्लब की स्थापना वर्ष 1994 में हुई थी लेकिन समय के साथ हॉर्स राइडिंग क्लब अपने उद्देश्यों में कामयाब नहीं हो सका। अब फिर से इसे पुनर्जीवित करने को लेकर प्लानिंग की गई है, जिसकी कमान कैप्टन धनंजय मिश्रा और उनकी टीम को मिली है। हॉर्स राइडिंग क्लब में मशहूर ट्रेनर जगवेन्द्र हैं, जिनके प्रशिक्षण की बदौलत हाल ही में शहर के नौनिहालों ने हरियाणा के सोनीपत में संपन्न हुए नार्थ इंडिया हॉर्स शो 2018 में अपनी काबिलियत के बल पर पदक जीत कर हॉर्स राइडिंग क्लब का मान बढ़ाया है।

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घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में संभावनाओं और बेहतर परिणाम के लिए यहां जंगल ट्रैक, नाइट राइडिंग के अलावा अन्य बेहतर सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है ताकि हार्स राइडिंग का बेहतर प्रशिक्षण देकर युवाओं को प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया जा सके। 9 हजार वर्ग मीटर में फैले जमशेदपुर हॉर्स राइडिंग क्लब के पास फिलहाल 6 घोड़े हैं, जिसे अगले दो महीनों में बढ़ाकर 14 किया जाना है। घुड़सवारी के क्षेत्र में कैरियर संवारने वाले बच्चों के लिए दो छोटे घोड़े भी लाए जाएंगे।   


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prachi

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