पर्यावरण दिवस: बेमौसम बारिश और लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर, बैंकों का कर्ज बना सदमा
punjabkesari.in Friday, Jun 05, 2020 - 03:21 PM (IST)
चतराः धरती को सीने से लगाकर रखने वाले किसानों को कभी आसमान तो कभी जहान धोखा दे जाता है। इस बार तो भगवान भी उनसे रूठा है तभी तो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने फसल बर्बाद कर दिया। इसके साथ ही जो बच गया उसे बेचने के लिए लॉकडाउन के कारण बाजार नहीं मिल सका, नतीजा यह हुआ कि बैंकों का कर्ज चुकाने की अनिवार्यता उन्हें सदमा दे रही है।
इस बार ऐसा ही कुछ जल, जंगल और जमीन की विरासत संभाले झारखंड के किसानों खासकर सब्जी उत्पादकों के साथ हुआ। सब्जियों की खेती करने वाले चतरा जिले के किसानों की बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, कोरोना महामारी और उसके कारण लागू लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी है।
वहीं अब यह पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का परिणाम है या विकास की अंधी दौड़ में कृषि को हाशिये पर धकेलने का नतीजा, जो भी है किसानों के लिए सदमे की तरह है।
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