PM मोदी ने बदल दी कानपुर की नूरजहां की जिंदगी
punjabkesari.in Sunday, Nov 29, 2015 - 06:02 PM (IST)
कानपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज अपने मन की बात कार्यक्रम में सौर उर्जा से अपने गांव को रोशन कर रही नूरजहां का नाम लेने से कानपुर का यह छोटा सा गांव बेरी दरियांव आज चर्चा में आ गया। शहर से 25 किलोमीटर दूर बने शिबली के इस बिना सुख सुविधाओं वाले गांव की नूरजहां के घर आज भारतीय जनता पार्टी नेताओं का ही नही बल्कि मीडिया का भी जमावड़ा लग गया। काफी खुश दिखाई पड़ रही नूरजहां को उम्मीद है कि अब उन्हें अपना काम बढाने के लिए सरकारी सहायता मिल सकेगी।
गांव के पचास लोगो को 100 रूपए प्रति माह के किराए पर सौर उर्जा की लालटेन किराए पर देकर अपने परिवार के छह सदस्यो का पेट पालने वाली नूरजहां आज से तीन साल पहले तक 15 रूपए रोज पर खेतों में मजदूरी करती थी। शाम को वह इस पैसे का आटा एवं अन्य सामान लाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालती थी । लेकिन गांव में एक कम्यूनिटी रेडियो चलाने वाली स्वंय सेवी संस्था ने 3 साल पहले नूरजहां की जिन्दगी ही बदल दी और उसे अब अपने पैरो पर खड़ा कर दिया।
नूरजहां को उम्मीद है कि आज प्रधानमंत्री द्वारा उसका नाम रेडियो पर लेने से शायद अब सरकार से उसको कुछ आर्थिक सहायता मिल सके और वह अपनी 50 सौर उर्जा लालटेनो को बढ़ाकर 100 कर लें क्योंकि गांव में पर्याप्त बिजली न होने के कारण बच्चों को पढाने के लिए उसकी सौर लालटेन की मांग अब दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।
प्रधानमंत्री द्वारा सराहना किए जाने से बेहद खुश नूरजहां (उम्र करीब 55 साल) ने आज बातचीत में कहा कि बीस साल पहले मेरे पति का निधन हो गया था वह बैंड मास्टर थे । उनके निधन के समय बच्चे बहुत छोटे थे और खेती की जमीन भी नही थी । फिर बच्चों का पेट पालने के लिए गांव के खेतों में 15 रूपए रोज की मजदूरी करने लगी । इससे वह अपने परिवार का पेट पालती थी ।
गांव के पचास लोगो को 100 रूपए प्रति माह के किराए पर सौर उर्जा की लालटेन किराए पर देकर अपने परिवार के छह सदस्यो का पेट पालने वाली नूरजहां आज से तीन साल पहले तक 15 रूपए रोज पर खेतों में मजदूरी करती थी। शाम को वह इस पैसे का आटा एवं अन्य सामान लाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालती थी । लेकिन गांव में एक कम्यूनिटी रेडियो चलाने वाली स्वंय सेवी संस्था ने 3 साल पहले नूरजहां की जिन्दगी ही बदल दी और उसे अब अपने पैरो पर खड़ा कर दिया।
नूरजहां को उम्मीद है कि आज प्रधानमंत्री द्वारा उसका नाम रेडियो पर लेने से शायद अब सरकार से उसको कुछ आर्थिक सहायता मिल सके और वह अपनी 50 सौर उर्जा लालटेनो को बढ़ाकर 100 कर लें क्योंकि गांव में पर्याप्त बिजली न होने के कारण बच्चों को पढाने के लिए उसकी सौर लालटेन की मांग अब दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।
प्रधानमंत्री द्वारा सराहना किए जाने से बेहद खुश नूरजहां (उम्र करीब 55 साल) ने आज बातचीत में कहा कि बीस साल पहले मेरे पति का निधन हो गया था वह बैंड मास्टर थे । उनके निधन के समय बच्चे बहुत छोटे थे और खेती की जमीन भी नही थी । फिर बच्चों का पेट पालने के लिए गांव के खेतों में 15 रूपए रोज की मजदूरी करने लगी । इससे वह अपने परिवार का पेट पालती थी ।