देहरादून में टूटे वायु प्रदूषण के सारे रिकॉर्ड, सांस लेना भी हुआ मुश्किल

punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 03:01 PM (IST)

देहरादून /ब्यूरो। अब देहरादून में वायु प्रदूषण के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। लोगों का सांस लेना भी दूभर होता जा रहा है। सुबह शाम पूरा शहर गैस चैंबर में तब्दील हो जाता है। इसके चलते लोगों को न केवल सांस संबंधी बीमारियां हो रही है, बल्कि हृदय रोग भी उन्हें अपने शिकंजे में कसता जा रहा है। चिकित्सकों की मानें, तो पिछले तीन माह में हजारों लोग फेफड़े व हृदय के रोगियों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। देहरादून में वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत वाहनों से निकलने वाला धुआं और अन्य हानिकारक पदार्थ हैं। आकड़े बताते हैं कि पूरे देहरादून मेंं बीस लाख से अधिक वाहन हैें।

दिनोंदिन वाहनों की संख्या में इजाफा ही हो रहा है। आज से बीस साल पहले वाहनों की तादाद बमुश्किल कुछ हजार हुआ करती थी। परिवहन विभाग के रिटायर्ड ट्रांसपोर्ट कमिश्नर आरके कुशवाहा कहते हैं कि डीजल के वाहनों की तादाद काफी बढ़ गई है। यहां सीएनजी सिस्टम वाले वाहन तो हैं ही नहीं। इसलिए हमें वैकल्पिक ऊर्जा वाले वाहनों के बारे में सोचना होगा। ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम के अलावा दूसरा कोई भी रास्ता नहीं है।

मौसम विभाग के उपमहानिदेशक डा.आनंद शर्मा बताते हैं कि वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में आई तेजी के कारण वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ गया है। पर्यावरणविद् और नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन दीनानाथ सलूजा का कहना है कि दून में ग्रीन कवर बहुत कम हो गया है। वनों का अवैध कटान जारी है। लैंडयूज बदलने की वजह से बाग, खेत व गैर आरक्षित वन भी कम हो गए हैं।

निर्माण कार्य में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है। इससे वातावरण में जहर घुल गया है। ओएनजीसी के रिटायर्ड अधिकारी आनंद मोहन थपलियाल कहते हैं कि एक समय था, जब देहरादून में वायु प्रदूषण था ही नहीं।यहां रहने वालों को स्वच्छ हवा और पानी मुहैय्या होता था, लेकिन राजधानी बनने के बाद से हालात पूरी तरह से बदल गए। पिछले सत्रह साल में राजधानी में वाहनों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। वाहनों की संख्या में दिनोंदिन होता इजाफा ही वायु प्रदूषण  का मुख्य कारण है। 

बढ़ रहे हैं फेफड़े व हृदय के रोगी  

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. केबी जोशी का कहना है कि प्रदूषण का नकारात्मक असर हृदय के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। जिस तरह से देहरादून में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उसी अनुपात में हृदय संबंधी दिक्कतें भी बढ़ रही हैं। हैरानी की बात यह है कि किशोरों व युवाओं में भी इस तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं। फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डा. एनएस खत्री कहते हैं कि पांच साल तक उम्र के बच्चे भी वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, जो चिंताजनक है। उनके लिए सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। यह एक बड़े खतरे का संकेत है। इसे नजरअंदाज करना घातक होगा।