कोच के बिना ही मैदान में उतरने को मजबूर उत्तराखंड फुटबाल टीम

punjabkesari.in Friday, Jan 19, 2018 - 05:49 PM (IST)

देहरादून /ब्यूरो। जब कोच ही मौजूद नहीं रहेगा तो खिलाड़ी अपना बेहतर प्रदर्शन कैसे कर पाएंगे। बिना कोच के कोई टीम नेशनल खेलने जाए यह सुनने में ही अजीब लगता है। लेकिन उत्तराखंड की फुटबाल टीम के साथ यही हो रहा है। प्रदेश की टीम को राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बिना कोच के ही प्रतिभाग करना पड़ रहा है।

क्योंकि ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के बदले मानकों के अनुसार सीनियर स्तर पर बी लाइसेंस कोच की अनिवार्यता कर दी गई है। लेकिन उत्तराखंड में कोई भी बी लाइसेंस धारक कोच नहीं है। लाइसेंस तो दूर अभी तक यहां पर बी लाइसेंस का कोर्स ही आयोजित नहीं हुआ। इसका एक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब नोएडा में चल रही नॉर्थ जोन संतोष ट्रॉफी चैंपियनशिप में प्रदेश की टीम को बिना कोच ही खेलना पड़ा। टीम के साथ जो कोच गए थे वह बैरंग लौट गए।

 

किसी भी प्रतियोगिता में कोच की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अभी तक एनआइएस किए प्रशिक्षक टीमों के साथ बतौर कोच नेशनल चैंपियनशिप में जाते रहे हैं। ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन ने प्रशिक्षकों के लिए रेफरियों की तरह ही लाइसेंस कोर्स करना अनिवार्य कर दिया है। फेडरेशन डी, सी, बी व ए लाइसेंस कोर्स कराती है। कोर्स राज्य फुटबॉल संघ भी करा सकता है।

प्रदेश में अभी तक डी लाइसेंस हासिल किए कई प्रशिक्षक है, जबकि सी लाइसेंस किए गिने-चुने कोच ही हैं। फेडरेशन की मानें तो सीनियर नेशनल में प्रतिभाग करने वाली टीम के साथ बी लाइसेंस कोच होना चाहिए, जबकि जूनियर स्तर पर सी लाइसेंस कोच टीम के साथ जा सकता है। वहीं नेशनल गेम्स में ए लाइसेंस कोच ही टीम के साथ जा सकता है। पहले यह अनिवार्यता नहीं थी, ए व बी लाइसेंस हासिल करने वाले प्रशिक्षकों के आग्रह पर फेडरेशन ने इसकी अनिवार्यता कर दी है। 

महंगे कोर्स के चलते नहीं ले रहे रुचि

राज्य फुटबॉल एसोसिएशन दो बार डी लाइसेंस कोर्स करा चुकी है। जिन प्रशिक्षकों ने सी लाइसेंस हासिल किया है उन्हें अन्य प्रदेशों में जाकर कोर्स किया। दरअसल, महंगा होने के कारण कई प्रशिक्षक कोर्स करने में रुचि नहीं दिखाते। सी लाइसेंस कोर्स करने में जहां 20 से 25 हजार का खर्च आता है, वहीं बी लाइसेंस में एक से डेढ़ लाख रुपये और ए लाइसेंस कोर्स करने में डेढ़ से दो लाख रुपये का खर्च आता है।

इतना खर्च वहन करने में प्रशिक्षक अपने को सक्षम नहीं पाते। वहीं, नियमानुसार प्रदेश एसोसिएशन जब तक तीन डी लाइसेंस कोर्स नहीं कराती तब तक वह सी लाइसेंस कोर्स का आयोजन नहीं कर सकती। अगर ऐसा ही रहा तो आगामी नेशनल प्रतियोगिताओं में प्रदेश की टीम बिना कोच के ही उतरती नजर आएंगी। रणनीतिकार न होने के कारण टीमों के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

मोइन खान, मीडिया प्रवक्ता (उत्तराखंड स्टेट फटबॉल एसोसिएशन) बताते हैं कि 'फेडरेशन के नियमानुसार प्रदेश में लाइसेंस कोच की कमी है। एसोसिएशन जल्द ही तीसरी बार डी लाइसेंस कोर्स आयोजित करेगी ताकि सी लाइसेंस का रास्ता साफ हो सके। सी लाइसेंस के बाद ही बी व ए लाइसेंस हासिल करने के लिए कोच अर्हता पा सकेंगे। जिन प्रशिक्षकों ने सी लाइसेंस किया हुआ है वे अन्य जगह जाकर भी बी व ए लाइसेंस कोर्स कर सकते हैं। इससे सीनियर नेशनल में टीमों को कोच मिल सकेंगे।