कांशीराम की प्रतिमा तोड़ने वालों पर हो सख्त कार्रवाई : मायावती
punjabkesari.in Wednesday, Jun 01, 2016 - 12:34 PM (IST)
लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा शासित हरियाणा में कांशीराम की प्रतिमा तोड़े जाने की घटना की निन्दा करते हुए आज मांग की कि हरियाणा सरकार दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।
मायावती ने एक बयान में कहा कि एक तरफ तो डा. भीमराव अम्बेडकर के निधन के बाद उनके मानवतावादी आंदोलन को गति प्रदान करने वाले कांशीराम जी की प्रतिमा को तोडऩे का घिनौना काम किया जाता है तो दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एक आेबीसी समाज के व्यक्ति के घर कुछ दलितों के साथ खाना खाने का वैसा ही नाटक करते हैं जैसा कांग्रेस पार्टी के युवराज खासकर बसपा शासन के दौरान उत्तर प्रदेश में किया करते थे।
मायावती ने कहा कि भाजपा आज से नहीं बल्कि जनसंघ के समय से ही अपने चाल, चरित्र व चेहरे से हमेशा ही जातिवादी प्रवृत्ति की रही है और इनकी दलित-विरोधी मानसिकता के कारण ही यहां दलित व पिछड़े समाज के लोगों को अपूरणीय क्षति झेलनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि इसी ही मानसिकता के कारण दलितों को आत्मसम्मान व स्वाभिमान से जीने का हक खासकर भाजपा शासित राज्यों में नहीं दिया जा रहा है। उनको मिलने वाले आरक्षण के संवैधानिक हक से भी वंचित रखा जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अब तो आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करने की ही साजिश की जा रही है।
मायावती ने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर आरक्षण की कानूनी व्यवस्था को पहले ही काफी निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया है, जिससे सरकारी नौकरियों में अब इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा और नरेन्द्र मोदी सरकार किसानों की कितनी ज्यादा विरोधी है और किसानों को, उनकी जमीन से बेदखल करके उद्योगपतियों को जमीन देने के मामले में कितनी हद तक आगे जा सकती है, यह पूरे देश ने देखा है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून को बदलने के लिए मोदी सरकार बार-बार नया अध्यादेश लायी। लेकिन अन्य राजनीतिक पार्टियों के सख्त विरोध और किसानों की जबर्दस्त एकजुटता के कारण भाजपा सरकार को फिर मुंह की खानी पड़ी और उस किसान-विरोधी अध्यादेश को अन्तत: वापस लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश मेें 2017 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दलितों, अन्य पिछड़ों व किसानों आदि को बरगलाने के प्रयास हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हरियाणा के गुडग़ांव में अज्ञात लोगों ने कल बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा तोड दी थी।
मायावती ने एक बयान में कहा कि एक तरफ तो डा. भीमराव अम्बेडकर के निधन के बाद उनके मानवतावादी आंदोलन को गति प्रदान करने वाले कांशीराम जी की प्रतिमा को तोडऩे का घिनौना काम किया जाता है तो दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एक आेबीसी समाज के व्यक्ति के घर कुछ दलितों के साथ खाना खाने का वैसा ही नाटक करते हैं जैसा कांग्रेस पार्टी के युवराज खासकर बसपा शासन के दौरान उत्तर प्रदेश में किया करते थे।
मायावती ने कहा कि भाजपा आज से नहीं बल्कि जनसंघ के समय से ही अपने चाल, चरित्र व चेहरे से हमेशा ही जातिवादी प्रवृत्ति की रही है और इनकी दलित-विरोधी मानसिकता के कारण ही यहां दलित व पिछड़े समाज के लोगों को अपूरणीय क्षति झेलनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि इसी ही मानसिकता के कारण दलितों को आत्मसम्मान व स्वाभिमान से जीने का हक खासकर भाजपा शासित राज्यों में नहीं दिया जा रहा है। उनको मिलने वाले आरक्षण के संवैधानिक हक से भी वंचित रखा जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अब तो आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करने की ही साजिश की जा रही है।
मायावती ने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर आरक्षण की कानूनी व्यवस्था को पहले ही काफी निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया है, जिससे सरकारी नौकरियों में अब इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा और नरेन्द्र मोदी सरकार किसानों की कितनी ज्यादा विरोधी है और किसानों को, उनकी जमीन से बेदखल करके उद्योगपतियों को जमीन देने के मामले में कितनी हद तक आगे जा सकती है, यह पूरे देश ने देखा है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून को बदलने के लिए मोदी सरकार बार-बार नया अध्यादेश लायी। लेकिन अन्य राजनीतिक पार्टियों के सख्त विरोध और किसानों की जबर्दस्त एकजुटता के कारण भाजपा सरकार को फिर मुंह की खानी पड़ी और उस किसान-विरोधी अध्यादेश को अन्तत: वापस लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश मेें 2017 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दलितों, अन्य पिछड़ों व किसानों आदि को बरगलाने के प्रयास हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हरियाणा के गुडग़ांव में अज्ञात लोगों ने कल बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा तोड दी थी।