मुहर्रम के मौके पर प्रदेश में हुए दर्दनाक हादसे, 2 की मौत दर्जनों गंभीर रूप से घायल (Pics)

punjabkesari.in Thursday, Oct 13, 2016 - 12:03 PM (IST)

लखनऊ: पैगम्बर हजरम इमाम हुसैन की शहादत की याद का पर्व मुहर्रम राजधानी लखनऊ समेत समूचे उत्तर प्रदेश में गमगीन माहौल में सम्पन्न हो गया। गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ, कानपुर, बस्ती, वाराणसी और आगरा समेत राज्य के अधिसंंख्य इलाकों में मातमी जुलूस निकाल कर ताजिये दफनाए गए। इस दौरान हुए हादसों में 2 लोगों की मृत्यु हो गई और 15 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान बरेली, पीलीभीत, मऊ और प्रतापगढ में हिंसा की छिटपुट वारदातों से करीब 9 लोग घायल हो गए। प्रभावित इलाकों में तनाव के मद्देनजर एहतियात के मद्देनजर पुलिस बल तैनात किया गया है।

बरेली के नवाबगंज में पत्थरबाजी की घटना में 5 लोग घायल हो गए। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आर के भारद्वाज ने बताया कि जुलूस के दौरान 2 पक्षों के बीच हुई पत्थरबाजी में घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है हालांकि उन्होने फायरिंग की घटना से इंकार किया। लखनऊ में मुहर्रम का जुलूस सुबह करीब 10 बजे बड़ा इमामबाड़ा से शुरू हुआ और 8 किमी दूर तालकटोरा पर खत्म हुआ। इस दौरान हुसैनी सोगवारों ने खुद को घायल कर मातम मनाया और इमाम हुसैन की शहादत का मकसद बयां किया।

जौनपुर में मुहर्रम के 10 वीं यौमे आसुरा पर इमामचौक एवं इमामवाडा में रखे गए ताजियेे को सदर इमामवाड़ा बेगमगंज के कर्बला में गमगीन माहौल में दफनाया गया। गौरतलब है कि आज से 1400 साल पहले ईराक के कर्बला में हकारत इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ यकाीद की फौज के साथ लड़ते हुए हक एवं इंसाफ के लिए शहादत दी थी जिसकी याद में आज 10वीं मुहर्रम की रात इमामवाड़ा एवं इमामचौक पर ताजिये रखे गए। लोगों ने शब्बेदारी की और कर्बला के शहीदों को याद करते हुए नौहा , मातम और सीनाजनी किया। इसके साथ ही जिले के अन्य स्थानों पर भी ताजिये को स्थानीय कर्बला में दफन किया गया। देर शाम शाम-ए-गरीबा की मजलिस का आयोजन किया गया।

फर्रूखाबाद में मोहर्रम की 10वीं पर ताजिये के साथ मातमी जुलूस में ‘हिन्दुस्तान जिन्दाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगे। शहर के मेंहदीबाग से मुस्लिम शिया समुदाय के लोगों द्वारा सुबह मोहर्रम के ताजिये उठाए गए। इस दौरान मातमी जुलूस में बड़ी संख्या में भाग ले रहे शिया सम्प्रदाय के लोगों ने शहर के मुख्य मार्ग से पक्कापुल होते हुए कर्बला की ओर जाते समय पहली बार तिरंगें को फहराते हुए जो 'भारत से टकराएगा वह चूरचूर हो जाएगा' नारेबाजी की।