मुलायम के सामने ही मंच पर भिड़ गए चाचा-भतीजा, माइक छीनने की लगी होड़

punjabkesari.in Tuesday, Oct 25, 2016 - 09:07 AM (IST)

लखनऊ: एक महीने से भी अधिक की उठापटक के बाद जब पूरा मौका मिला तो परिवार के मुखिया ने चाचा-भतीजे को गले मिलवाया, भतीजे से चाचा के पैर छुवाए, लेकिन उसके तुरंत बाद ज्वालाएं फिर भड़क गईं। एक दूसरे से मंच पर ही माइक छीनने की नौबत आ गई और पहले से चल रहा तनाव और बढ़ गया, एक दूसरे के खिलाफ तनी भौंहें और टेढ़ी हो गईं। जाहिर है उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह का उपसंहार अभी लिखा जाना बाकी है। आर-पार की लड़ाई अभी होनी बाकी है। मुख्यमंत्री के लोग सोमवार की देर शाम तक यही कहते रहे कि जिस तरह से पार्टी मंच से अखिलेश यादव का अपमान हुआ है, वह सुलह का रास्ता तो कतई नहीं है।

मुलायम सिंह राजनीति के मंझे खिलाड़ी
मुलायम सिंह यादव राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं और अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने एक से एक झंझावातों का सामना किया है। वे तमाम राजनीतिक प्रतिद्वंदियों से लड़े-भिड़े और विजयी होकर निकले। लेकिन यह पहला मौका है जब उन्हें घर के अंदर से चुनौती मिली है। साल 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के बाद, पहली बार उन्हें 2012 में लंबी सांस लेने का मौका उस समय मिला था जब उनकी पार्टी ने चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत पा लिया और उनकी सरकार बन गई। लेकिन, सरकार बनने के कुछ समय बाद ही मुलायम सिंह विद्रोही मुद्रा में आ गए और अपने बेटे की सरकार के कामकाज पर तीखी टिप्पणियां करने लगे। कभी वे सार्वजनिक रूप से अखिलेश को डांटते तो कभी उनके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते। उनकी और उनके दोनों भाइयों- प्रो. राम गोपाल और शिवपाल यादव की प्रशासन में दखलंदाजी बराबर जारी रही। 

शिवपाल के अलावा झगड़े की मुख्य जड़ अमर सिंह रहे
सोमवार की बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश ने जो भाषण दिया, उससे भी यह जाहिर हो गया। अखिलेश ने सबको बता दिया कि 19 सितंबर को उन्होंने प्रजापति और राजकिशोर सिंह को नेता जी यानी मुलायम सिंह जी के कहने पर ही मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया था और दीपक सिंघल को उनके कहने से ही मुख्य सचिव बनाया था। यहां तक कि प्रजापति को नेता जी के कहने पर ही वापस लिया गया जबकि दीपक सिंघल की वापसी के लिए उन पर दबाव डाला जाता रहा। मुख्यमंत्री ने ऐसे और भी उदाहरण गिनाए, जिनसे पता लगता था कि उन पर पर मंत्रियों की नियुक्ति से लेकर अफसरों की तैनाती के लिए बराबर दबाव डाला जाता था। दूसरी तरफ शिवपाल यादव यह आरोप लगाते रहे कि अफसर उनकी सुनते नहीं थे और मुख्यमंत्री को बताए जाने पर भी वे उनके खिलाफ कुछ नहीं करते थे। शिवपाल यादव के अलावा झगड़े की मुख्य जड़ अमर सिंह रहे हैं। 

मुलायम सिंह ने की दोनों की तरफदारी
सोमवार को जिस तरह मुलायम सिंह यादव ने दोनों की तरफदारी की, उससे अखिलेश समर्थकों के मुंह लटक गए। उन्होंने कहा कि अमर सिंह और शिवपाल उनके भाई हैं और उनके खिलाफ वे कुछ नहीं सुनना चाहते। जबकि अखिलेश खुलेआम अमर सिंह की मुखालफत करते रहे हैं। वे अमर सिंह पर परिवार में तनाव पैदा करने और झगड़ा कराने के आरोप लगाते रहे हैं। अखिलेश यादव यह मानते रहे हैं कि पिछले महीने जब उनके स्थान पर शिवपाल यादव को प्रदेश पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया तो उसके पीछे भी अमर सिंह की ही साजिश थी। दीपक सिंघल अमर सिंह के इतने नजदीक थे कि अमर सिंह ने दिल्ली में एक बड़ी पार्टी की तो मुख्यमंत्री द्वारा उसका बहिष्कार करने के बावजूद दीपक सिंघल उसमें शामिल होने दिल्ली गए।

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