करारी हार के बाद नए पशोपेश में समाजावादी पार्टी

punjabkesari.in Wednesday, Mar 15, 2017 - 07:14 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी पराजय के बाद अब समाजवादी पाटी के लिये माथापच्ची की नयी वजह पैदा हो गयी है। पार्टी नवगठित विधानसभा में विपक्ष के नेता के लिये अपने किसी नेता का नाम तय करने को लेकर पसोपेश में है। 

हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में सपा 47 सीटें जीतकर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी है और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव को तय करना है कि 403 सदस्यीय विधानसभा में 325 के संख्याबल वाले सत्तापक्ष के सामने विपक्ष का नेता किसे बनाया जाए, जो प्रतिपक्ष की बात को प्रभावशाली तरीके से रख सके। अखिलेश विधान परिषद के सदस्य हैं और वह इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े। उन्होंने सपा के नवनिर्वाचित विधायकों की कल बैठक बुलायी है।

माना जा रहा है कि इस बैठक में विधायकों की राय जानने के बाद वह नेता प्रतिपक्ष के संबंध में कोई फैसला लेंगे। हालांकि अखिलेश के पास विकल्प बहुत सीमित हैं। इस पद के लिये सबसे प्रमुख और अनुभवी राजनेताआें में उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शिवपाल सिंह यादव और आजम खां शामिल हैं। हालांकि एक नाम अखिलेश के विश्वासपात्र बलिया के बांसडीह से विधायक राम गोविन्द चौधरी का भी लिया जा रहा है। 

विधानसभा चुनाव से कुछ पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह द्वारा अखिलेश को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद परिवार में हुए झगड़े और उसमें अखिलेश की जीत के बाद हाशिये पर पहुंचे शिवपाल को नेता विपक्ष का महत्वपूर्ण पद दिये जाने की संभावना बहुत कम है, क्योंकि अखिलेश उन्हें अहमियत नहीं देना चाहेंगे। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव नेता प्रतिपक्ष के पद के लिये शिवपाल के नाम का समर्थन कर सकते हैं लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष अखिलेश उनकी सलाह मानेंगे, एेसा सभव नहीं लगता।