शाह कल आयेंगे लखनऊ, सुलझायेंगे पार्टी में आम से खास तक की दिक्कतें

punjabkesari.in Tuesday, Apr 10, 2018 - 08:24 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में आम से लेकर खास तक की निगाहें कल यहां राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के प्रस्तावित दौरे पर टिकी हैं। सभी को उम्मीद है कि एक दिवसीय संक्षिप्त दौरे में शाह पार्टी संगठन अथवा सरकार में व्याप्त मतभेदों और समस्याओं का हल निकालेंगे।   

गोरखपुर और फूलपुर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में मिली हार के बाद शाह का सूबे में यह पहला दौरा होगा। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पिछले 19 मार्च को अपने कार्यकाल की पहली वर्षगांठ मना चुकी है लेकिन अंर्तकलह के चलते सरकार की उपलिधयां जमीनी स्तर पर उजागर नहीं हो सकी। इसके अलावा दलित मुद्दे को लेकर कुछ भाजपा सांसदों के बागी तेवरों और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उग्र अंदाज ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया।   

भाजपा सूत्रों ने आज यहां बताया कि शाह कल अपरान्ह लखनऊ आयेंगे और सबसे पहले पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे, उसके बाद वह सरकार के कामकाज की समीक्षा करेंगे। भाजपा अध्यक्ष के आधिकारिक कार्यक्रम का हालांकि अभी खुलासा नहीं किया गया है लेकिन सूत्रों के अनुसार शाह नवाब नगरी में लगभग आठ घंटा बितायेंगे। वह पार्टी नेताओं के अलावा सहयोगी दलों से भी बातचीत कर मतभेंदों को दूर करने की कोशिश करेंगे। शाह का यह दौरा विधान परिषद के लिये 11 उम्मीदवारों के नामों की सूची को भी अंतिम रूप देने में सहायक होगा जबकि 15 अप्रैल के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार के विस्तार के बारे में भी चर्चा की जायेगी। हाल ही में श्री योगी ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर विभिन्न मसलों पर चर्चा की थी।   

सूत्रों के मुताबिक श्री शाह के दौरे का प्रभाव आने वाले दिनों में सामने आ सकता है। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार और संगठन में अप्रत्याशित बदलाव अगले कुछ दिनों में दिखने की उम्मीद है। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के हालिया गठबंधन के अलावा मुस्लिम और दलित वर्ग का भाजपा विरोध पार्टी अध्यक्ष के लिये चर्चा का विषय हो सकता है। दलित समुदाय से संबंध रखने वाले भाजपा के चार सांसद सावित्री बाई फूले, छोटे लाल, यशवंत सिंह और अशोक दोहरे दलितों के उत्पीडऩ का आरोप लगाकर केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश जाहिर कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में सपा के हाथों में मिली पराजय भी पार्टी और श्री योगी के लिये किसी दंश से कम नहीं है।  

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