हिंदू भाई की जान बचाने के लिए आरिफ ने तोड़ दिया रोजा

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 08:38 PM (IST)

देहरादून: धर्म की आड़ में देश में मानवता को शर्मशार करने वालों को देहरादून के आरिफ ने करारा जवाब दिया है। आरिफ ने एक युवक की जान बचाने के लिए अपना रोज़ा तक तोड़ दिया। देहरादून के एक हॉस्पिटल में जीवन और मौत की जंग लड़ रहे अजय को खून देने में जब रोजा आड़े आया तो आरिफ ने उसकी जान बचाने में जरा सी भी देर नहीं की और अपना रोजा तोड़ दिया। आरिफ खान देहरादून के नालापानी चौक सहस्रधारा रोड में रहते हैं। वे नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स (एनएपीएसआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।

वाट्सएप ग्रुप पर मिली ब्लड डोनेशन की जानकारी
शनिवार 19 मई को वाट्सएप पर आरिफ को वाट्सएप के एक ग्रुप से जानकारी मिली कि देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती अजय के पेट में संक्रमण होने के कारण गंभीर बीमार है। अजय के प्लेटलेट्स 5 हजार तक गिर चुके हैं। 20 वर्षीय अजय का ब्लड ग्रुप A पॉजिटिव है। अजय के लगातार गिरते प्लेटलेट्स के कारण उसकी जान को खतरा बढ़ गया है। आरिफ ने मैसेज पढ़कर हॉस्पिटल से संपर्क कर ब्लड देने की इच्छा जताई और उन्होंने अजय के पिता को फोन किया।

रोजा तोड़कर किया रक्तदान
अस्‍पताल पहुंचने पर आरिफ को पता चला कि अजय को खून और प्‍लेटलेट्स की सख्‍त जरूरत है। अगर उन्‍हें यह नहीं मिले तो उनकी जान भी जा सकती है। ऐसे में रोजे से होने के बावजूद आरिफ ने अजय को खून देने के लिए हामी भर दी। इसके बाद उन्‍होंने अपना रोजा तोड़ा और अजय को खून दे दिया।

उन्होंने कहा कि वह रोजे से हैं, अगर डॉक्टरों को कोई दिक्कत नहीं है तो वह खून देने के लिए तैयार हैं।  डॉक्टरों ने कहा कि खून देने से पहले कुछ खाना पड़ेगा, यानी रोजा तोड़ना पड़ेगा। खैर, आरिफ खान ने जरा भी देर नहीं की और अस्पताल पहुंच गए। उनके खून देने के बाद चार लोग और भी पहुंचे। आरिफ ने कहा कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म होता हैं। यदि मेरे एक रोजा तोड़ने से एक व्यक्ति की जान बच सकती है तो यह मेरा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सबसे बड़ा पुण्य हैं। उन्होंने यह भी माना कि यह सौभाग्य हर किसी को नही मिलता हैं।

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