अयोध्या की विवादित भूमि पर अब बौद्ध समुदाय ने किया दावा, सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका

punjabkesari.in Wednesday, Mar 14, 2018 - 12:05 PM (IST)

अयोध्या/फैजाबादः अयोध्या विवाद भारत के हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का एक प्रमुख मुद्दा रहा है। इसके साथ ही देश की राजनीति को एक लंबे अरसे से प्रभावित करता रहा है। बीजेपी और विश्वहिंदू परिषद सहित कई हिंदू संगठनों का दावा है कि हिंदुओं के आराध्यदेव राम का जन्म ठीक वहीं हुआ जहां बाबरी मस्जिद थी। उनका दावा है कि बाबरी मस्जिद दरअसल एक मंदिर को तोड़कर बनवाई गई थी और इसी दावे के चलते 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई। लेकिन अब इस विवाद के बीच बौद्ध समुदाय भी उतर आया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अयोध्या की विवादित भूमि पर बौद्ध समुदाय ने अपना हक जताया है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई बौद्ध समुदाय की तरफ से याचिका 
बौद्ध समुदाय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित भूमि पर चार बार खुदाई करवाई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद 2002-2003 में वहां अंतिम बार खुदाई हुई थी। यह याचिका 6 मार्च 2018 को बौद्ध विनीत कुमार मौर्या ने दायर की है। विनीत खुद अयोध्या के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वह बौद्ध समुदाय के सदस्य हैं। वह अयोध्या में बौद्ध धर्म के अनुसार जीवन यापन कर रहे हैं। बौद्ध धर्म के लोगों के साथ न्याय हो, इसलिए उन्होंने याचिका दायर की है। उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से जरूर इंसाफ मिलेगा। 

बौद्ध समुदाय का दावा वहां बौद्ध समुदाय का था स्मारक 
विनीत ने याचिका में दावा किया है कि बाबरी मस्जिद बनाए जाने से पहले वहां बौद्ध समुदाय का स्मारक था। भारतीय पुरातत्व विभाग ने उस जगह पर खुदाई में बौद्ध धर्म से जुड़े स्तूप, दीवारें और खंभे भी पाए थे। उनका दावा है कि विवादित भूमि पर बौद्ध विहार था। भारतीय पुरातत्व सर्वे ने 2003 में कहा था कि विवादित स्थल के बीच एक गोलाकार पूजास्थल पाया गया, जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इससे जुड़े सबूत जुटाने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि विवादित स्थल के कसौटी स्तंभ वाराणसी में मौजूद बौद्ध स्तंभों के समान हैं।