अयोध्या: त्रिपाल से निकलकर अस्थायी मंदिर में विराजमान हुए रामलला

punjabkesari.in Wednesday, Mar 25, 2020 - 09:58 AM (IST)

अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में 25 मार्च को सुबह 4 बजे श्रीराम जन्मभूमि परिसर में विराजमान राम लला को अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया। दो दिन के वैदिक अनुष्ठान के बाद बुधवार सुबह 4 बजे रामलला को शिफ्ट किया गया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी, सीएम योगी व संत-महंतों की उपस्थिति में शिफ्टिंग का काम पूरा हुआ। अब रामलला के दर्शन इसी अस्थाई मंदिर में होगा। हालांकि, लॉकडाउन की वजह से श्रद्धालु अभी दर्शन नहीं कर सकेंगे।

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मंगलवार आधी रात से भगवान रामलला को शिफ्ट करने का अनुष्ठान शुरु हुआ था आधी रात के बाद 2:00 बजे रामलला को दोबारा से जगाया गया और ब्रह्म मुहूर्त में रामलला को नए अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया। सोमवार से ही रामलला के गर्भगृह में पूजन शुरू हो गया था, जिसमें 15 वैदिक विद्वान जो दिल्ली प्रयागराज, मथुरा, काशी और अयोध्या से पहुंचे थे। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्‍चार के साथ पूजा किया।

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सुबह 4:00 बजे अस्थाई मंदिर में विराजमान हो गए रामलला: चंपत राय
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र टेस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि सुबह 4:00 बजे रामलला अपना टेंट का मंदिर छोड़ कर अस्थाई मंदिर में विराजमान हो गए। अयोध्या के वरिष्ठ संतों की स्थानीय जनप्रतिनिधि और ट्रस्ट के पदाधिकारी की मौजूदगी में रामलला को नए अस्थाई भवन में विराजमान कराया गया। रामलला नए अस्थाई मंदिर में चांदी के सिंहासन पर अपने चरों भाइयों के साथ विराजमान हुए। यह सिंहासन अयोध्या राजपरिवार के द्वारा रामलला को भेंट किया गया है. सिंहासन 25 इंच लंबा, 15 इंच चौड़ा और 24 इंच ऊंचा है। रामलला का दर्शन सुबह 7:00 बजे से नए अस्थाई मंदिर में होगा।

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आरती के बाद सीएम योगी ने दिया 11 लाख का चेक
बता दें कि शिफ्टिंग के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। उन्होंने रामलला की पूजन और आरती में भाग लिया। इसके बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि रामलला के मंदिर निर्माण का पहला चरण पूरा हो गया है। जल्द ही भव्य मंदिर बनकर तैयार होगा। मुख्यमंत्री ने 11 लाख रुपए का चेक भी रामलला को दान दिया।

जयपुर के कारीगरों ने बनाया सिंहासन
जिस चांदी के सिंहासन पर रामलला विराजमान हुए हैं उसे जयपुर के कारीगरों द्वारा बनाया गया है। चांदी के सिहासन के पृष्ठ पर सूर्य देव की आकृति और दो मोर उत्कीर्ण किए गए हैं। रामलला इसी आकर्षक सिहासन पर विराजमान हुए। मौजूदा समय में मूल गर्भगृह के अस्थायी मंडप में रामलला लकड़ी के सिहासन पर विराजित हैं। राजा विमलेंद्र मोहन मिश्र यह सिंहासन लेकर अयोध्या आए। उन्होंने यह सिंहासन ट्रस्ट को समर्पित कर दिया।


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Ajay kumar

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