बाराबंकी: अखिलेश के तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर

punjabkesari.in Saturday, Feb 18, 2017 - 01:44 PM (IST)

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटा बाराबंकी जिला भी इस बार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर खासकर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के लिये बेहद अहम है। पिछले विधानसभा चुनाव में पूरे जिले में अन्य पार्टियों का सूपड़ा साफ करने वाली सपा की सरकार में इस जनपद से तीन मंत्री शामिल हैं, लिहाजा इस दफा यहां के चुनाव में इन मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। 

परंपरागत रूप से समाजवादियों का गढ़ रहे बाराबंकी जिले में विधानसभा की छह सीटें-बाराबंकी, रामनगर, दरियाबाद, हैदरगढ़, जैदपुर और कुर्सी हैं। वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने इन सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। रामनगर सीट से विधायक अरविन्द सिंह गोप सूबे के ग्राम्य विकास मंत्री हैं और उन्हें सपा अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है।

कुर्सी सीट से सपा विधायक फरीद महफूज किदवाई प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं जबकि दरियाबाद से सपा विधायक राजा राजीव कुमार सिंह कृषि राज्यमंत्री हैं। इस बार ये सभी मंत्री अपने-अपने क्षेत्र से फिर सपा के उम्मीदवार हैं, लिहाजा विधानसभा चुनाव में इन सभी मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। साथ ही इस बात की भी परीक्षा होगी कि वे दूसरी सीटों पर सपा के पक्ष में क्या फिजा बना पाते हैं।

कभी सपा के संस्थापक सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा के दबदबे वाला जिला रहे बाराबंकी में अरविन्द सिंह गोप प्रभावशाली नेता बनकर उभरे लेकिन रामनगर सीट पर इस बार उनके सामने विकट चुनौती है। रामनगर का चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां की जनता ने कभी किसी विधायक को लगातार दूसरी बार नहीं चुना। सपा अध्यक्ष अखिलेश ने गोप को बेनी के बेटे राकेश वर्मा पर तरजीह देते हुए रामनगर से लगातार दूसरी दफा प्रत्याशी बनाया है। एेसे में गोप का काफी कुछ दांव पर है। 

रामनगर सीट पर सबसे दिलचस्प मुकाबला है। यहां गोप के सामने बसपा प्रत्याशी हफीज भारती और भाजपा उम्मीदवार शरद अवस्थी की चुनौती है। इस सीट पर कुल 14 प्रत्याशी हैं लेकिन मुख्य मुकाबला इन्हीं तीनों के बीच है। हालांकि इसी सीट से पूर्व विधायक राजलक्ष्मी वर्मा भी पीस पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। वह खासकर सपा और भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बहरहाल, गोप को इस सीट पर लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर सपा अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के फैसले को सही साबित करने की कड़ी चुनौती है। 

पिछले विधानसभा चुनाव में कुर्सी सीट पर आसानी से जीत हासिल करने वाले प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री फरीद महफूज किदवाई के लिये भी मुकाबला कड़ा है। बसपा ने इस सीट से बी. पी. सिंह को तथा भाजपा ने साकेन्द्र वर्मा को टिकट दिया है। मुख्यत: मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के मतदाताआें के बाहुल्य वाले इस क्षेत्र का चुनाव सपा प्रत्याशी किदवाई के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न है। 

बाराबंकी सदर सीट पर मौजूदा विधायक सुरेश यादव उर्फ धर्मराज एक बार फिर सपा के टिकट पर मैदान में हैं। सुरेश इस यादव बहुल क्षेत्र में अपने विकास कार्यों के बलबूते चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पूर्व मंत्री संग्राम सिंह वर्मा के भाई बसपा प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह वर्मा और बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधान परिषद सदस्य हरिगोविन्द सिंह से कड़ी टक्कर मिल रही है। 

हैदरगढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां से सपा ने मौजूदा विधायक राममगन रावत को फिर से मौका दिया है, जबकि भाजपा ने पूर्व सांसद बैजनाथ रावत और बसपा ने पूर्व सांसद कमला रावत को मैदान में उतारा है। यह दिलचस्प है कि इस सीट पर ये तीन ही उम्मीदवार मैदान में हैं। बैजनाथ और कमला का इस क्षेत्र में खासा दबदबा है, लिहाजा सपा प्रत्याशी राममगन के सामने वर्ष 2012 की कामयाबी दोहराना आसान नहीं है। 

दरियाबाद सीट पर कृषि राज्यमंत्री राजा राजीव कुमार सिंह एक बार फिर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। सिंह का इस क्षेत्र में खासा असर माना जाता है। वैसे तो इस क्षेत्र से कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन सिंह को मुख्य चुनौती बसपा के मुबश्शिर और भाजपा के सतीश चन्द्र शर्मा से ही मिल रही है। जैदपुर सीट पर इस बार काफी कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। यहां सपा ने अपने विधायक रामगोपाल रावत का टिकट काटकर अपने सहयोगी दल कांग्रेस के तनुज पुनिया को चुनाव लडऩे का मौका दिया है। 

केमिकल इंजीनियर तनुज कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता पी. एल. पुनिया के बेटे हैं। एेसे में यह सीट पुनिया के लिये भी प्रतिष्ठा का सवाल है। तनुज को बसपा प्रत्याशी पूर्व विधायक मीता गौतम से तगड़ी टक्कर मिल रही है। इसके अलावा भाजपा के उपेन्द्र सिंह रावत भी कमजोर नहीं हैं। बाराबंकी में कुल 21 लाख 69 हजार 586 मतदाता हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 63 हजार 186 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख छह हजार 333 तथा 67 अन्य उम्मीदवार हैं। अब देखना यह है कि समाजवादियों के इस गढ़ में जनता इस बार किसे सिर माथे बैठाती है।