नोटबंदी का साइड इफेक्ट: पुराने नोट लेने से बैंक मैनेजर ने किया मना, मृतक का नहीं हो पाया अंतिम संस्कार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 30, 2016 - 01:59 PM (IST)

बस्ती(विवेक श्रीवास्तव): केंद्र सरकार भले ही नोटबंदी कर कालेधन पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही हो लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं। कहीं नोटबंदी के कारण शादी रुक रही है तो कहीं चिता को आग नहीं मिल रही है। बैंक के कर्मचारी  भी संवेदनहीन हो गए हैं उन्हें किसी के दु:ख दर्द से कोई वास्ता नहीं रह गया है। ऐसा ही एक मामला बस्ती जिले में सामने आया है। जहां एक महिला की मौत हो गई। जिसकी अंतेष्ठी के लिए 1000 का पुराना नोट लेकर मृतक की बहु बैंक पहुंची। काफी देर लाइन में लगने के बाद भी बैंक मैनेजर ने पैसा जमा नहीं किया और उसे वापस कर दिया। बैंक से पैसे न मिलने की वजह से मृतक का संस्कार नहीं हो पाया। 

मामला बस्ती जनपद के त्रिलोकपुर गांव का है जहां मथुरा देवी की मृत्यु हो गई। मृतक महिला की बहु सास के दाह संस्कार के लिए परेशान थी क्योंकि घर में नई करेंसी नहीं थी। उसके पास मात्र 1000 की पुरानी नोट थी। जिसे लेकर वह जनपद के एसबीआई बैंक की केशवपुर शाखा पहुंची। काफी देर लाइन में लगने के बाद भी बैंक कर्मियों ने पैसे जमा करने व बदलने से मना कर दिया। ब्रांच मैनेजर ने पैसे नहीं दिए उन्होंने महिला को यह कहकर लौटा दिया कि हमारे पास 100 के नहीं 2000 के नोट हैं। मैनेजर ने महिला से कहा कि 1000 रुपये अपने अकाउंट में और जमा करो तो तुम्हें हम 2000 का नोट देंगे। 

बैंक मैनेजर राजीव से महिला विनीता ने अपनी मजबूरी का रोना रोया और काफी मिन्नतें भी की लेकिन मैनेजर ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे वापस लौटा दिया। थक हार के मृतक के बेटे ने 300 रुपये कर्ज लेकर कफन का इंतजाम तो कर लिया लेकिन लकड़ी नहीं खरीद पाया। पैसे न होने की वजह से अपनी मां के शव का अंतिम संस्कार नहीं कर पाया और मजबूर होकर मां के शव को मिटटी में दफन कर दिया। हालांकि बैंक मैनेजर के इस तरह व्यवहार से क्षेत्र के लोग काफी दुखी हैं। 

वहीं इस सम्बन्ध में स्टेट बैंक के रीजनल मैनेजर उत्तम वर्मा ने कहा कि ये घटना काफी दुखद है। मामले की जांच कराई जा रही है। ब्रांच मैनेजर को मृतक के घर जाकर उसकी समस्या दूर करने का निर्देश दिया गया है। 

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