मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 135 हुई, बिहार में कुल 158 की मौत

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2019 - 10:08 AM (IST)

पटना\मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सैफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ कर अब 135 हो गई है, वहीं इस बीमारी से अब तक कुल 158 लोगों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही ने बताया कि आज 5 और बच्चों की मौत हो गई। इन 5 बच्चों को मिला कर उनके अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या अब 115 हो गई है।

PunjabKesariउन्होंने बताया कि आज 22 और बीमार बच्चों को भर्ती कराया गया। अब तक उनके अस्पताल में एईएस के कारण भर्ती कराए गए कुल बच्चों की संख्या 372 हो गई है। जानकारी मुताबिक स्वास्थ्य लाभ के बाद 118 बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। वहीं निजी केजरीवाल अस्पताल में मंगलवार की रात से एईएस पीड़ित 2 और बच्चे भर्ती कराए गए। बीते 24 घंटे में इस अस्पताल में एईएस से किसी भी बच्चे की मौत होने की खबर नहीं है।

PunjabKesariमंगलवार तक केजवरीवाल अस्पताल में 20 बच्चों की और पूर्वी चंपारण जिले में एक बच्चे की इस रोग से मौत हुई थी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि दरभंगा, सुपौल और मधुबनी के कुल 11 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती मुजफ्फरपुर में की गई है। इसके अलावा अन्य जिलों में तैनात तीन बाल रोग विशेषज्ञों और 12 नर्सों को मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है ।

PunjabKesariइस बीच एईएस रोग के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत को लेकर मुजफ्फरपुर निवासी मोहम्मद नसीम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और अश्विनी कुमार चौबे तथा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एक स्थानीय अदालत में शिकायत दर्ज कराई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने मामले की सुनवाई की तारीख 25 जून मुकर्रर की है।

क्या है इंसेफेलाइटिस
यह एक दिमागी बुखार है जो कि वायरल संक्रमण की वजह से फैलता है। यह मुख्य रुप से गंदगी में पनपता होता है। जैसे ही यह हमारे शरीर के सपंर्क में आता है वैसे ही यह दिमाग की ओर चला जाता है। यह बीमारी ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं।

ये हैं बीमारी के लक्षण
डॉक्टरों का कहना है कि इससे बुखार, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है। वह प्रकाश से डरता है। कुछ रोगियों के गर्दन में जकड़न आ जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं।

ये हैं बचाव के तरीके
इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए समय से टीकाकरण करवाना चाहिए। आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। गंदे पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों से बचाव करें और घरों के आस पास पानी न जमा होने दें। बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खान-पान दें।


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