रामपुर में ''जलपरी'' जैसे नवजात का जन्म, अस्पताल में देखने पहुंचे सैकड़ों लोग...महज एक घंटे में तोड़ा दम
punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2025 - 07:30 PM (IST)
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Rampur News: उत्तर प्रदेश के रामपुरजिले में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने 'जलपरी' जैसे शरीर वाला नवजात शिशु जन्म लिया। इस नवजात का ऊपरी हिस्सा मानव जैसा था, जबकि धड़ के नीचे का हिस्सा मछली के जैसा दिख रहा था। यह खबर फैलते ही अस्पताल में देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई, लेकिन अफसोस, नवजात केवल एक घंटे के भीतर मौत के मुंह में चला गया।
रामपुर में 'जलपरी' जैसे नवजात का जन्म
यह घटना शहर के एक मुहल्ले में रहने वाली महिला के साथ हुई। महिला के पति एक कारपेंटर हैं और उनके पहले दो बच्चे पहले से हैं। महिला तीसरी बार गर्भवती थी और आठ फरवरी को प्रसव पीड़ा के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला को पहाड़ी गेट स्थित एमएक्सएल हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था, जहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन के जरिए प्रसव कराया। ऑपरेशन के बाद जब नवजात को देखा गया तो डॉक्टर और अस्पताल का स्टाफ भी हैरान रह गया। बच्चे का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से विकसित था, लेकिन निचला हिस्सा मछली की तरह दिखाई दे रहा था। उसके पास सिर्फ एक पैर और पंजा था, और उसके प्राइवेट पार्ट भी विकसित नहीं थे।
डॉक्टरों ने नवजात को देखकर बताया "मरमेड सिंड्रोम"
डॉक्टरों ने नवजात को देखकर उसकी विकृति को "मरमेड सिंड्रोम" बताया, जो एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। इस सिंड्रोम में बच्चे के पैरों के हिस्से आंशिक या पूरी तरह से जुड़े होते हैं, जिससे शरीर मछली जैसा दिखाई देता है। इसके साथ ही बच्चे के अन्य अंगों में भी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे हृदय, फेफड़े, गुर्दे और मूत्र जननांगी प्रणाली में विकृतियां। इस नवजात के शरीर में इन समस्याओं के संकेत थे, और प्राइवेट पार्ट भी विकसित नहीं थे।
महिला के पहले 2 बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ था
महिला के पहले दो बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ था, और इस बार भी ऑपरेशन द्वारा ही प्रसव हुआ। अस्पताल के संचालक डॉ. मोहम्मद आरिफ ने बताया कि महिला ने मुरादाबाद में अल्ट्रासाउंड कराया था, लेकिन उसमें यह विकृति नजर नहीं आई। यह देखकर डॉक्टर भी हैरान थे, क्योंकि सामान्य अल्ट्रासाउंड में अगर कोई संदेह होता है तो डॉपलर अल्ट्रासाउंड किया जाता है, जिसमें ऐसी विकृतियां पकड़ में आ जाती हैं।
जानिए, क्या कहना है विशेषज्ञों का?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह के विकृतियां मां के शुगर लेवल के अधिक होने के कारण भी हो सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अगर गर्भवती महिला 16 सप्ताह के बाद थ्री-डी अल्ट्रासाउंड कराती, तो बच्चे की विकृति का पता चल सकता था। यह घटना एक दुर्लभ और चौंकाने वाली घटना है, जिसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, ताकि ऐसी विकृतियों का समय रहते पता चल सके।