UP निकाय चुनाव में दूसरे व तीसरे नंबर पर रहे उम्मीदवारों की जमानत हुई जब्त

punjabkesari.in Thursday, Dec 07, 2017 - 02:41 PM (IST)

लखनऊ, आशीष पाण्डेय: यूपी निकाय चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने लगभग सभी पार्टियों का गणित ही बिगाड़ कर रख दिया। मुख्य रूप से नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष के पदों पर उनकी वजह से ही वोट बंट गए। जिसका नतीजा यह रहा कि दूसरे व तीसरे स्थान पर जिस भी पार्टी का उम्मीदवार रहा उसकी जमानत तक जब्त हो गई। चुनाव आयोग के आंकड़े बता रहे हैं कि तीसरे नंबर पर रहने वाले दो-तिहाई से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। नगर पंचायतों में तो भाजपा को छोड़कर बाकी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों के आधे से लेकर तीन-चौथाई तक उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके हैं।

पाने को कुछ था ही भाजपा के पास 
वर्ष 2012 में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी को इतनी सीट मिली थी की इस चुनाव में उसे पाने को कुछ अधिक नहीं था। लेकिन इस निकाय चुनाव के नतीजे पर जिस लिहाज बीजेपी पार्टी आलाकमान बयानबीर बन रहे वो चुनाव आयोग के आंकड़ों की समीक्षा करने पर खोखला नजर आता है। सच तो यह है कि महापौर व नगर निगम को अलग कर दें तो निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा निकाय चुनाव में साफ नजर आ रहा है। जिसका सीधा अर्थ यह है कि वोटरों ने भाजपा सहित अन्य दलों के उम्मीदवारों सीरे से खारिज कर दिया। भाजपा ने 652 में कुल 623 निकायों पर चुनाव लड़ा था। इसमें 242 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हुई है। 

इस हिसाब से पार्टी करीब 39 प्रतिशत सीटों पर जमानत नहीं बचा पाई है। हालांकि आंकड़ों को पदों के अनुसार देखने पर पता चलता है कि सबसे ज्यादा नगर पंचायत के उम्मीदवारों का प्रदर्शन खराब रहा और इनकी वजह से बीजेपी के जमानत जब्त होने वाले प्रतिशत में इजाफा भी नजर आ रहा है। मेयर के किसी भी पद पर भाजपा के उम्मीदवार की जमानत नहीं हुई। नगर पालिका अध्यक्ष में भी स्थिति सामान्य थी यहां पर करीब 22 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। नगर पंचायत अध्यक्ष में करीब एक चौथाई सीटें जीतने के बाद भी भाजपा 48 प्रतिशत सीटों पर अपनी जमानत नहीं बचा पाई है। इसलिए अकेले नगर पंचायतों का प्रदर्शन बीजेपी के बाकी निकायों की बढ़त की खुशी को फीका करने के लिए काफी है।

सपा व बसपा को मिली संजीवनी
वर्ष 2012 में हुए निकाय चुनाव के बाद यूपी के लोकसभा व विधानसभा चुनावों में सपा व बसपा हाशिए पर ही रहे। यही कारण रहा कि इस बार हुए निकाय चुनाव में इन दोनों के पास खोने को कुछ नहीं था। सपा का प्रदर्शन मेयर व निगम चुनाव में काफी खराब रहा। मेयर की एक भी सीट उसके पास नहीं थी और ना ही मिली। इस तरह उसे यहां पर कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। यही हाल कमोबेश बसपा का भी रहा। उसके पास भी खोने को कुछ था ही नहीं। फायदा यह हुआ कि जिस तरह मेयर की दो सीटें बसपा को मिली है इससे उसे संजीवनी जरूर मिल गई होगी। सपा ने मेयर सहित कुल 586 निकाय अध्यक्षों के पदों पर लड़ी थी जिसमें 301 पदों पर उसकी जमानत जब्त हो गई है।

इस तरह 51.36 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। मेयर की दो सीटें जीतने के बाद भले ही बसपा लोकसभा व विधानसभा के बुरे दिनों से उभरती दिखाई पड़ रही हो लेकिन आंकड़े इससे उलट हैं। पार्टी ने मेयर सहित 558 निकाय अध्यक्षों के पदों पर लड़ी थी जिसमें 410 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत गंवा दी। इस प्रकार पार्टी के 73 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए हैं। मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष तीनों ही पदों पर बसपा के स्थिति कमोबेश एक जैसी ही रही है। पार्टी का वोट शेयर भी वेस्ट यूपी में पहले से काफी गिरा है जो उसका गढ़ माना जाता है। राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाकर चमत्कार की उम्मीद पाले कांग्रेस को जनता ने हाशिए पर ही रखा है। पार्टी ने मेयर सहित 445 निकाय अध्यक्षों के पदों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। इसमें करीब 85 प्रतिशत की जमानत जब्त हो गई है। 10 मेयर उम्मीदवार सहित पार्टी के 387 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत गंवा दी है।

बसपा
नगर पंचायत चुनाव में 356 उम्मीदवारों में से 268 उम्मीदवारों की जमानत जब्त (75.28 प्रतिशत) 
नगर पालिका चुनाव में 186 उम्मीदवारों में से 131 उम्मीदवारों की जमानत जब्त (70.43 प्रतिशत) 
नगर निगम चुनाव में 16 उम्मीदवारों में से 11 उम्मीदवारों की जमानत जब्त (68.75 प्रतिशत) 

सपा
नगर पंचायत चुनाव में 379 उम्मीदवारों में से 207 की जमानत जब्त (54.61 प्रतिशत) 
नगर पालिका चुनाव में 191 उम्मीदवारों में से 84 की जमानत जब्त (43.00 प्रतिशत ) 
नगर निगम चुनाव में 16 उम्मीदवारों में से 10 की जमानत जब्त (62.5 प्रतिशत) 

भाजपा
नगर पंचायत चुनाव में 413 उम्मीदवारों में 198 उम्मीदवारों की जमानत जब्त (47.94 प्रतिशत) 
नगर पालिका चुनाव में 194 उम्मीदवारों में 44 उम्मीदवारों की जमानत जब्त (22.68 प्रतिशत) 
नगर निगम महापौर चुनाव में 16 सीटों में 14 पर विजयी दो सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। दोनों ही सीटों पर उम्मीदवारों की जमानत जब्त नहीं हुई (00 प्रतिशत) 
जमानत जब्त (प्रतिशत में)