चाय बेचने वाले ने जीती पार्षदी, शपथ ग्रहण से एक दिन पहले हुई मौत

punjabkesari.in Tuesday, Dec 12, 2017 - 04:16 PM (IST)

लखनऊ: बरेली के शेखान मोहल्ले में रहने वाले मोहम्मद उस्मान कचहरी रोड पर अपनी चाय नाश्ते की दुकान से अपना परिवार चलाते थे। दुकान पर कई नेता भी चाय पीने आते थे। उन्हें देखकर उस्मान ने भी चुनाव लडऩे की तैयारी कर ली। उनकी इच्छा थी वो पार्षद की चुनाव जीतें, लगातार दो बार चुनाव लडऩे के बाद इस बार हुए निकाय चुनाव में वोटरों ने उनपर विश्वास कर उस्मान को बहुमत दिया। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। उस्मान इस बार जीत तो गए लेकिन पार्षद पद की शपथ नहीं ले सके। मंगलवार को होने वाली शपथ से एक दिन पहले उन्हें हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। परिवार में मनाई जाने वाली खुशियां मातम में बदल गईं।

पहली बार जीता चुनाव
मोहम्मद उस्मान तीन बार से नगर पंचायत के वार्ड सदस्य के चुनाव में किस्मत अजमां रहे थे। 2007 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं मिली।  इसके बाद 2012 में वार्ड-14 से निर्दलीय प्रत्याशी के 
तौर पर चुनाव लड़ा। लेकिन पहली बार की तरह दूसरी बार भी  निराशा हाथ लगी और जीत का सेहरा सिर पर नहीं बंध सका। तीसरी बार उस्मान ने वार्ड-13 से चौधरी अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और उन्हें पहली बार जीत का स्वाद चखा। प्रदेश में मंगलवार को निकाय चुनाव में विजयी उम्मीदवारों के लिए शपथ ग्रहण होना था। बरेली के नगर पंचायत खैरिया निजावत खां के ऑफिस में शपथ ग्रहण होना था।
इसके लिए मोहम्मद उस्मान ने तैयारी काफी पहले शुरू कर दी थी। नेताओं की स्वघोषत पोशाक में खुद को दिखने के लिए उस्मान ने नया कुर्ता-पायजामा भी बनवा लिया था। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

चाय बेचने वाला बना पार्षद
चाय की दुकान से राजनीति में आए उस्मान की इच्छा अधूरी ही रह गई। परिवार में पत्नी जैतून बेगम, बेटा इमरान, रिजवान, रेहान अहमद, गुड्डू और पप्पू हैं। रोजाना की तरह सोमवार की सुबह मो. उस्मान होटल पहुंचे। बेटा गुड्डू भी साथ में था। दुकान पर अचानक हुई तेज घबराहट के साथ गिर पड़े। बेटा गुड्डू और भतीजा मुहम्मद मियां आनन-फानन उन्हें बरेली के मिशन हॉस्पिटल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मोहम्मद उस्मान के पांच बेटों में से सबसे बड़ा मोहम्मद इमरान और दूसरे नंबर का का रिजवान सऊदी अरब में पेंटर का का काम करते हैं। रिजवान कुछ दिन पहले ही सऊदी अरब से वापस आया था, जबकि इमरान वहीं पर है। पिता को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया, लेकिन सात समंदर पार होने के चलते बेटा इस गम के मौके पर शरीक नहीं हो सका।