बीएसपी मेयर ने हटाया राष्ट्रगीत गाने की अनिवार्य शर्त

punjabkesari.in Wednesday, Dec 06, 2017 - 07:01 PM (IST)

लखनऊ, आशीष पाण्डेय: वंदे मातरम गान की अनिवार्यता एक बार फिर चर्चा में है। निकाय चुनाव में बीजेपी जिस सीट पर हार चुकी वहां अब नए फरमान जारी करने की होड़ मची हुई है। ताजा मामला यूपी के मेरठ का है। वहां पर बीएसपी की मेयर सुनीता वर्मा ने पदभार संभाला है। सुनीता ने बीजेपी के हरिकांत अहलूवालिया को हराया है। सुनीता ने पद भार संभालते ही बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने बीजेपी के पूर्व मेयर के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें नगर निगम बोर्ड की बैठकों में राष्ट्रगीत वंदे मातरम का गान करना अनिवार्य कर दिया था। मार्च 2017 में मेरठ के तत्कालीन मेयर हरिकांत अहलूवालिया के समक्ष राष्ट्रगीत के गान को अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। हालांकि मेरठ की नई मेयर सुनीता वर्मा ने आते ही इस फैसले को वापस ले लिया है।

राष्ट्रगान पर नहीं राष्ट्रगीत से हटी पाबंदी
निकाय चुनाव में निर्वाचित हुई बीएसपी की मेयर सुनीता वर्मा ने साफ कर दिया कि नगर निगम बोर्ड की बैठक में राष्ट्रगीत वंदे मातरम् का गान नहीं कराया जाएगा, हालांकि बैठक में राष्ट्रगान की परंपरा को पहले की तरह ही निभाया जाता रहेगा। बता दें कि नगर निगम बोर्ड बैठक में राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के गान को लेकर मुस्लिम पार्षदों ने सवाल उठाए थे। इस संबंध में बीजेपी के पार्षदों और बीएसपी, समाजवादी पार्टी समेत दूसरे दलों के मुस्लिम पार्षदों में कई बार टकराव की बातें सामने आई थीं। हालांकि मार्च 2017 में बीजेपी के मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने वंदे मातरम का गान अनिवार्य करते हुए ऐसा नहीं करने वाले पार्षदों की सदस्यता खत्म करने की चेतावनी दी थी।

बीजेपी ने किया विरोध
सुनीता के इस फैसले का बीजेपी ने कड़ा विरोध किया है। बता दें कि मेरठ नगर निगम में पिछले कई साल से बीजेपी का ही कब्जा था, हालांकि इस बार हुए निकाय चुनाव में मेयर की सीट बीएसपी के खाते में गई है। सुनीता वर्मा ने इस बार मेयर पद पर जीत दर्ज की है। उन्होंने आते ही सबसे पहले यही फैसला लिया और नगर निगम बोर्ड की बैठक में वंदे मातरम् गाने पर रोक लगा दी है। हालांकि मेरठ की मेयर के इस फैसले पर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं। इसी के साथ इस मामले में एक बार फिर से सियासत गरमाने लगी है।