जीवनसाथी के झूठे बयान को आधार बनाकर शादी से नहीं पा सकते छुटकाराः दिल्ली हाईकोर्ट
punjabkesari.in Friday, Sep 22, 2023 - 04:29 PM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक प्रेम विवाह मामले में अहम फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने एक प्रेम विवाह को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि जीवनसाथी के परिवार या संपत्ति के संबंध में फर्जी / झूठे बयान देकर शादी रचाए जाने को आधार बनाकर विवाह से 'छुटकारा ' नहीं पाया जा सकता।
पति ने धोखाधड़ी के आधार पर अपनी शादी को रद्द करने का अनुरोध किया
विवाह को रद्द कराने के लिए अदालत का रुख करने वाले पति ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी ने विवाह से पहले सौन्दर्य प्रसाधन के क्षेत्र में काम करने और उसकी संपत्ति पर साथ में व्यवसाय शुरू करने का झूठा वादा किया था। पति ने धोखाधड़ी के आधार पर हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) के तहत अपनी शादी को रद्द करने का अनुरोध किया है और दावा किया है कि उसकी पत्नी बाद में "फरार हो गई थी। याचिका में पति ने कहा है कि वह शादी से पहले अपनी पत्नी से मिली झूठी जानकारी के बहकावे में आ गया था।
न्यायमूर्ति ने पति के दावों को किया खारिज
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने पति के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि शादी रद्द करने के लिए 'धोखाधड़ी' विवाह के लिए मूल आधार पर जुड़े ठोस तथ्यों को जानबूझकर छिपाए जाने का मामला होना चाहिए। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में, कथित अभ्यावेदन न तो विवाह समारोह की प्रकृति से संबंधित है और न हीं इससे वैवाहिक' संबंध प्रभावित होता है।
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