रील लाइफ के ‘चाणक्‍य’ ने कहा, योगी आदित्‍यनाथ आज की राजनीति के ‘चाणक्‍य’

punjabkesari.in Saturday, Apr 15, 2017 - 03:08 PM (IST)

गोरखपुर(अजीत सिंह): रंगमंच और हिन्‍दी फिल्‍मों के प्रसिद्ध अभिनेता मनोज जोशी इस समय अपने नाटक ‘चाणक्‍य’ के मंचन को लेकर गोरखपुर आए हैं। मनोज को कुछ दिन पहले एक मराठी फिल्‍म में उनके अभिनय के लिए सहायक अभिनेता का राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार भी मिला है। रील लाइफ के ‘चाणक्‍य’ मनोज जोशी उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को रीयल लाइफ का ‘चाणक्‍य’ मानते हैं। उनका कहना है कि वह जिस प्रकार से कूटनीतिक निर्णय ले रहे हैं वह सही मायने में उन्‍हें ‘चाणक्‍य’ कहना गलत नहीं होगा। उन्‍होंने महापुरुषों की जयंती पर छुट्टियों को रद्द करने के योगी के निर्णय की भी सराहना की।

मनोज जोशी कहते हैं कि 32-33 साल के करियर में मिला यह पुरस्‍कार अभिनय यात्रा के एक पड़ाव जैसा है और उन्‍हें काफी खुशी भी महसूस हो रही है। वह कहते हैं कि वह चाणक्‍य का पात्र निभा रहा हूं। इस पात्र को आत्‍मसात करने का प्रयत्‍न कर रहा है। वह एक महासागर हैं। उनका विचार और उनकी कूटनीतियां आज भी उतनी ही तरोताजा हैं। लोगों को इस नाटक को जानने में रुचि हो रही है। आज भी उन्‍हें लगता है कि वह कुछ नया सीख रहे हैं। 

वह कहते हैं कि योगी आदित्‍यनाथ का उत्‍तर प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बनना भारतवर्ष के लिए अद्भुत घटना है। उनके मुख्‍यमंत्री बनने से उत्‍तर प्रदेश का भाग्‍य चमकने वाला है। उनके पास पांच वर्ष का समय है। वह जितनी तेजी के साथ और कम कालावधि में निर्णय ले रहे हैं और उनके पांच बार सांसद बनने का समय उनके लिए उनका अनुभव इस व्‍यवस्‍था को जिस प्रकार से वह समझे हैं। जितनी चपलता से वह निर्णय लिए हैं...उत्‍तर प्रदेश का भाग्‍य चमकने वाला है और अद्भुत होने वाला है। एक योगी व्‍यवस्‍थापक बनकर आया है तो समाज के पिछड़े वर्ग तक राजा का सुख पहुंचे वह अच्‍छी तरह से जानते हैं। 

उन्‍होंने कहा कि वह योगी हैं। वह कठोर और अचूक निर्णय क्षमता उनके भीतर है। समाज के निचले तबके का कल्‍याण हो वह यह चीज समझते हैं। इसलिए वह चाणक्‍य ही हैं। प्रजा का सुख ही राजा का सुख है। परिवार को सुखी करने के लिए वह किसी भी चीज से आकर्षित नहीं होता। एक राजा के लिए उसकी प्रजा ही उसका परिवार है। उसका सुख ही राजा का सुख है। यह चाणक्‍य का मंत्र है। आज भी उनका एक विचार कि महापुरुषों के दिन को छुट्टियां मनाने की छुट्टी न दे और उनका विचार बच्‍चों के मन-मस्तिष्‍क तक कैसे पहुंचे। यह बड़ा ही अद्भुत विचार है और यह योगी ही सोच सकते हैं।